मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुकेश कुमार वत्स ने बताया कि अभी तक टीम सिर्फ घर के मुखिया से बात करती थीं, लेकिन इस बार घर में मौजूद हर सदस्य से बात करेंगी। घर के हर सदस्य से बात करने का निर्णय इसलिए लिया गया ताकि कहीं कोई चूक न रह जाये। उन्होंने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है। इससे पीड़ित एक मरीज 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर देता है। यही कारण है कि टीबी के मरीज़ की जल्द पहचान होने के बाद तत्काल उपचार शुरू कर देना चाहिए।
डॉ. मुकेश कुमार वत्स ने बताया कि आगरा में दो टीबी यूनिट आगरा साउथ व शमसाबाद में चलाया जाएगा। टीबी यूनिट शमसाबाद में 264495 की जनसंख्या पर 72 टीमें काम करेंगी। इनका सुपरविजन 15 सुपरवाइजर द्वारा किया जाएगा। टीबी यूनिट आगरा साउथ में 306098 की जनंख्या पर कुल 120 टीमें काम करेंगी। 24 सुपरवाइजर भी लगाए जाएंगे। जिले में सक्रिय रोग खोज अभियान जनसंख्या 570593 पर 39 सुपरवाइजरों के सुपरविजन में 192 टीमों द्वारा घर घर जाकर संभावित क्षय रोगियों की खोज की जाएगी।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. यूबी सिंह ने बताया कि टीम रोजाना कम से कम 50 घरों में जाएंगी और वहां जाकर अपने परिचय देने के बाद बात करेगी। टीम के सदस्य यह जानकारी जुटाएंगे कि घर में किसी को 15 दिन से खांसी या बुखार तो नही है, बलगम में खून तो नहीं आ रहा है या वजन तो नही गिर रहा है। इनमें से कोई भी लक्षण पाए जाने पर टीम बलगम का सैंपल लेगी। यदि जांच में टीबी की पुष्टि होती है तो मेडिकल सुपरवाइजर उस घर पर जाकर उसका उपचार करेगा।
-दो सप्ताह में लगातार खांसी आना।
-हर रोज तेज बुखार आना।
-रात में पसीना आना।
-बिल्कुल भूख नहीं लगना।
-वजन में लगातार गिरावट होना