वैसे तो नेशनल एंटी डोपिंग एजेसी (नाडा) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेल में शामिल होने वाले खिलाड़ियों पर नजर रखती है। लेकिन, अब जिला और प्रदेश स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों पर भी नजर रखी जाएगी। अंदेशा या शिकायत आने पर उस खिलाड़ी का डोप टेस्ट कराया जाएगा। जिला स्तर पर खिलाड़ियों की जांच करने के फैसले को मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स का भी साथ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि मंत्रालय नाडा का बजट बढ़ाने की तैयारी में है। ऐसे में जिला और प्रदेश स्तर के खिलाड़ियों का भी डोप टेस्ट कराना आसान हो जाएगा।
क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी राजेश कुमार सिंह के मुताबिक जिला और प्रदेश स्तर के खिलाड़ियों पर निगारनी रखने के लिए नाडा की ओर से प्लान तैयार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि जल्द ही यह योजना लागू हो जाएगी। किसी खिलाड़ी पर शक या उसकी शिकायत के आधार पर नाडा उस खिलाड़ी का डोप टेस्ट करा सकता है।
बता दें कि डोप टेस्ट में खिलाड़ी के यूरिन और खून के सेंपल लिए जाते हैं। वहीं ए और बी टेस्ट किए जाते हैं। जिसे दिल्ली स्थित लैब में जांच के लिए भेजा जाता है। बता दें कि ए रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो खिलाड़ी उसे चैलेंज कर उस सेंपल की बी जांच की मांग कर सकता है। डोप की एक जांच पर आठ से दस हजार रुपये तक का खर्चा होता है। यदि प्रदेश स्तर के साथ साथ जिला स्तर पर डोपिंग टेस्ट हुए और शिकायतें निगेटिव आई, तो इसे एक बड़ी चुनौती माना जाएगा।