दो दिन बाद फिर करवट लेगा मौसम, कड़ाके की सर्दी के साथ बारिश की संभावना…
लेकिन फिल्म में महाराजा सूरजमल का जीवन चित्रण गलत प्रकार से दिखाया गया है। बड़े शर्म की बात है कि फिल्म इंडस्ट्री आज हमारे इतिहास को तोड़ मरोड़ कर दिखा रही है। ये जातिगत हिंसा फैलाने का काम कर रही है। हिंदू समाज हमेशा से अखंड भारत, एक भारत के रूप में परिचायक रहा है। मनोज कुमार का कहना है कि वे पानीपत फिल्म का विरोध करते हैं और भारत सरकार से मांग करते हैं कि सेंसर बोर्ड ऐसी फिल्मों को बारीकी से जांच परख करने के बाद ही अनुमति दे।फिल्म में दिखाया गया है कि महाराजा सूरजमल को हमलावर अफगानों के खिलाफ मराठों की मदद के बदले में कुछ चाहिए था। जब उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो उन्होंने सदाशिव को लड़ाई में साथ देने से इनकार कर दिया।