फिनलैंड से आईं ग्लिस ने बताया कि उनके देश में गरीबी नहीं है। सभी लोगों के पास रोजगार है, रहने के लिए खुद की छत है। बाल श्रमिक उनके देश में नहीं हैं। वहीं ग्रेटा ने बताया कि बाल श्रमिक उनके देश में नहीं हैं, प्रयास ये होना चाहिए, कि बाल श्रमिक कहीं भी न रहें। मासूम बच्चों को शिक्षा का अधिकार है। हर किसी को काम मिलना चाहिए। कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता है। उन्होंने बताया कि उनके देश में तो महिलाएं तक बैल्डिंग का काम करती हैं। वहीं अलियन ने बताया कि उत्तर प्रदेश ग्रामीण श्रमिक संगठन द्वारा बच्चों के लिए किया जाने वाला गांव वास्तव में सराहनीय है। उन्होंने संगठन के अध्यक्ष पंडित तुलाराम शर्मा की भी प्रशंसा की।
विदेशी मेहमानों को संस्थान के अध्यक्ष पंडित तुलाराम शर्मा ने बताया कि उन्होंने 1995 में एक प्रोजेक्ट के तहत इस स्कूल की 40 बच्चों के साथ स्थापना की थी। वो प्रोजेक्ट तो समाप्त हो गया, लेकिन जो 40 बच्चे स्कूल में तैयार किए गए थे, उन्होंने दूसरे स्कूल में जाने से मना कर दिया। इसके बाद इस स्कूल को स्थाई रूप से बढ़ाना पड़ा। बच्चों का प्रेम और संगठन का इन बच्चों के प्रति संकल्प इतना दृड़ हो गया, कि एक के बाद एक करके संगठन ने प्रदेश के कई जिलों में दर्जनभर से अधिक बाल श्रमिक विद्यालयों का संचालन शुरू कर दिया, वो भी बिना किसी सरकारी योगदान के। उन्होंने बताया कि इन स्कूलों के लिए अभी तक सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं दी गई है। संगठन सरकार से लगातार इन स्कूलों की सहायता के लिए मांग करता रहा है।
फिनलैंड के मेहमान जब स्कूल पहुंचे, तो जितनी बच्चों में उत्सुकता थी, उससे कहीं अधिक उत्सुकता इन विदेशी मेहमानों में थी। बच्चों के साथ विदेशी मेहमानों ने जमकर सेल्फी लीं। इस दौरान उन्होंने बच्चों से बात भी की। वहीं बच्चे भी इन विदेशी मेहमानों से कुछ ही पलों में बेहद घुल मिल गए। कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश ग्रामीण श्रमिक संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा के साथ संगठन के अन्य पदाधिकारियों ने विदेशी मेहमानों का माला पहनाकर व तिलक कर स्वागत किया। विदेशी मेहमानों के इस दल में साकू, ग्रेटा, अलिया, नेंदपी, लीना, तारिया, तुरमी, श्रेय, नीमो, मीलिया, आर्टो, ग्लिस और सास्क अधिकारी मनोरंजन मौजूद रहे।