ताजमहल को बचाने के लिए ये कर रहे संघर्ष
आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केसी जैन, रिवर कनेक्ट अभियान के संयोजक बृज खंडेलवाल, आगरा कॉलेज वनस्पति विज्ञान विभाग के प्राध्यापक केएस राणा, पर्यावरणविद् श्रवण कुमार सिंह, आगरा के पर्यावरण को बचाने के लिए संघर्षरत डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य, लोकस्वर के अध्यक्ष राजीव गुप्ता, समाजसेवी और हरियाली अभियान के कर्ताधर्ता अशोक जैन सीए, मोटर स्पोट्र्स क्लब के अध्यक्ष और आगरा में कई जगह हरियाली विकसित करने वाले हरविजय सिंह वाहिया, प्रमुख जूता निर्यातक व समाजसेवी पूरन डाबर द्वारा ताजमहल को संरक्षित करने और आगरा के प्रदूषित होने से बचाने के लिए समय समय पर अहम सुझाव दिए गए, इनमें से ये 10 सुझाव अहम हैं।
आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केसी जैन, रिवर कनेक्ट अभियान के संयोजक बृज खंडेलवाल, आगरा कॉलेज वनस्पति विज्ञान विभाग के प्राध्यापक केएस राणा, पर्यावरणविद् श्रवण कुमार सिंह, आगरा के पर्यावरण को बचाने के लिए संघर्षरत डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य, लोकस्वर के अध्यक्ष राजीव गुप्ता, समाजसेवी और हरियाली अभियान के कर्ताधर्ता अशोक जैन सीए, मोटर स्पोट्र्स क्लब के अध्यक्ष और आगरा में कई जगह हरियाली विकसित करने वाले हरविजय सिंह वाहिया, प्रमुख जूता निर्यातक व समाजसेवी पूरन डाबर द्वारा ताजमहल को संरक्षित करने और आगरा के प्रदूषित होने से बचाने के लिए समय समय पर अहम सुझाव दिए गए, इनमें से ये 10 सुझाव अहम हैं।
ये दिए गए सुझाव –
1. बायोडायवर्सिटी सर्वे- आगरा में पालीवाल पार्क, शाहजहां उद्यान, ताजमहल, एत्माद्दौला, रामबाग, सिकन्दरा व अन्य प्रमुख उद्यानों स्थलों का बायोडायवर्सिटी सर्वे कराकर प्रकाशित किया जाए, ताकि आगरावासी व यहां आने वाले एक करोड़ पर्यटक यहां के वृक्षों, वनस्पति व जीव-जन्तुओं से परिचित हो सकें और उनके संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाये जा सकें।
1. बायोडायवर्सिटी सर्वे- आगरा में पालीवाल पार्क, शाहजहां उद्यान, ताजमहल, एत्माद्दौला, रामबाग, सिकन्दरा व अन्य प्रमुख उद्यानों स्थलों का बायोडायवर्सिटी सर्वे कराकर प्रकाशित किया जाए, ताकि आगरावासी व यहां आने वाले एक करोड़ पर्यटक यहां के वृक्षों, वनस्पति व जीव-जन्तुओं से परिचित हो सकें और उनके संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाये जा सकें।
2. उद्यान एवं वनों के लिए गाइडेड टूर- उद्यान, वन विभाग द्वारा आगरा के प्रमुख उद्यानों व वन में टूर की व्यवस्था की जाए, ताकि प्रकृति प्रेमी यहां की प्राकृतिक विविधता से परिचित हो सकें और इसके लिए यहां अधिकृत गाइड हों।
3. नेचर गाइड की प्रशिक्षणशाला- आगरा की भौगोलिक स्थिति के दृष्टिगत यहो नेचर गाइड का पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जाना चाहिए, ताकि सूर सरोवर पक्षी बिहार, चम्बल सेन्चुरी व केवलादेव पक्षी विहार व अन्य प्राकृतिक विरासतों को पर्यटकों को अच्छी तरह से दिखाया जा सके।
4. नेटिव वनस्पति को सूचीबद्ध किया जाए- आगरा व ब्रज की प्राकृतिक सम्पदा को सूचीबद्ध किया जाये, ताकि जो वृक्ष व वनस्पति लुप्तप्राय हो रही हैं उनके संवर्द्धन के लिए प्रभावी कदम उठाये जायें और उनका संरक्षण भी किया जा सके।
5. नेटिव प्रजातियों का पौधारोपण- यह उचित होगा कि जो भी आगरा व समीपस्थ क्षेत्र की जो नेटिव प्रजातियों के पौधे व वृक्ष हैं उन्हें बढ़ाने हेतु उनके पौधों को अधिक से अधिक लगाया जाय व संरक्षित किया जाये।
6. बड़े स्तर की नर्सरी- स्थानीय प्रजातियों के पौधों की उपलब्धता सुगम करने की दृष्टि से आगरा शहर की सभी दिशाओं में उद्यान, वन विभाग की भूमि पर नर्सरी विकसित की जाएं जहां विलुप्तप्राय प्रजातियों के पौधों को विकसित किया जाए और पौधों को लगाने हेतु सस्ती दरों पर उन्हें उपलब्ध कराया जाये।
7. वृहद वृक्षारोपण- सरकारी आवास एवं कार्यालयों, विद्यालयों, महाविद्यालयों, छावनी क्षेत्र आदि में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण की नीति बनाकर प्रभावी रूप से कार्रवाई की जाए। 8. यमुना के दोनों किनारों पर पौधारोपण- यमुना में जलस्तर बढ़ाने व उसके पुर्नजीवन हेतु उसके दोनों किनारोें पर सघन पौधारोपण किया जाये, जैसा कि सद्गुरू जग्गी वासुदेव द्वारा योजना केन्द्र एवं राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
9. जापानी पद्धति के अनुसार सघन वृक्षारोपण- जापान के डाॅक्टर अकीरा मीयावाकी द्वारा बताई गई मीयावाकी पद्धति के अनुसार खुले स्थानों पर सघन वृक्षारोपण किया जाये जो 1 हैक्टेयर में 1100 पौधों के स्थान पर 40 हजार वृक्षों का किया जाता है, जिससे वायु में आद्रता व वातावरण में सुधार निश्चित है।
10. वृक्षों पर नाम पट्टिका- वृक्षों की प्रजाति के संबंध में जनसामान्य के मध्य अज्ञानता है, जिसके कारण जनसाधारण को न वृक्षों से लगाव है और न ही उनकी उपयोगिता का ज्ञान है। इसके लिए यह उचित होगा कि प्रमुख मार्गों और उद्यानों में स्थिति वृक्षों पर उनकी प्रजाति का उल्लेख किया जाये ताकि जनसामान्य के मध्य वृक्षों की जानकारी बढ़ सके।