आत्मा की शुद्धि के लिए कार्य करें वह हाथरस से शाम के समय सिकन्द्राराऊ के लिए विहार कर गये। उन्हें हाथरस जंक्शन तक छोड़ने के लिए सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष व बच्चे उनके साथ गये थे। बैण्डबाजों के साथ उनका जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत करने के अलावा आरती की गई थी। चैत्य सागर महाराज ने कहा कि भगवान बोलते नहीं हैं, वह जानते हैं यदि वह बोलेंगे तो श्रावक उनकी बात मानने वाला नहीं हैं। आंख, कान, हाथ-पैर यह शरीर के प्रमुख अंग हैं, लेकिन इनसे हम क्या काम ले रहे हैं? मरने के बाद इस शरीर को कोई छूता भी नहीं हैं और जो छू लेता है उसे स्नान करना पड़ता है। आत्मा की शुद्धि और कल्याण के लिए हमें कार्य करना चाहिए।
एक किस्सा सम्राट सिकन्दर ने भी जैन साधु को झुकाने के लिए तमाम प्रयास किये थे और उनके सैनिकों ने जैन साधु से कहा था कि तुम नंगे हो तुम्हारे पास कुछ नहीं है, हमारे सम्राट तुम्हें सब कुछ दे सकते हैं, लेकिन जैन साधु ने कहा कि उनसे बड़ा सम्राट कोई नहीं है यह बात जब सम्राट सिकन्दर को पता चली तो सम्राट ने पहले तो जैन मुनि को लालच भी दिया था, लेकिन जब वह लालच में नहीं आये तो सम्राट को उनके सामने झुकना पड़ा था।
जैन समाज एटजुट हो जिस घर में भाई-बहन और ननद-भाभी तथा पिता-पुत्र में झगड़ा होता है, वह घर कभी स्वर्ग नहीं हो सकता। कौरव व पाण्डव यूं तो एक दूसरे के दुश्मन थे, लेकिन जब कोई दूसरे देश का राजा आक्रमण करता था तो दोनों एक होकर उसका मुकाबला करते थे। इसी तरह भारत वर्ष के जैन समाज को एकजुट होना होगा।
ये रहे साथ इस अवसर पर श्री जैन नवयुवक सभा अध्यक्ष उमाशंकर जैन, महामंत्री संजीव जैन भूरा, कोषाध्यक्ष कमलेश जैन, मंत्री सुधीर जैन, नयाबांस बगीची के राजाबाबू जैन, महेश चंद्र जैन, धीरज जैन, कैलाश चंद्र जैन सूत वाले, कैलाश चंद्र जैन, वरिष्ठ पत्रकार लालता प्रसाद जैन, राकेश जैन, सुमत प्रकाश जैन लोहिया, छीतरमल जैन, डॉ.मोहन लाल जैन, संदीप कुमार जैन, विजय जैन, डिम्पल जैन, पंकज जैन, सिम्पल जैन, सौरभ जैन रानू, अतुल जैन, धन्य कुमार जैन सौगानी, अनूप जैन, संदीप जैन, आयुश जैन, गगन जैन, धर्मेन्द्र जैन, अरुण जैन लोहिया, मयंक जैन, विनीत जैन, सुनीत जैन, शैलेन्द्र जैन, सिद्धार्थ जैन, विशाल जैन, सतेन्द्र जैन आदि साथ थे।