इस दिन करें ऐसे पूजा, वट वृक्ष की पू जा करते समय सूत से सात परिक्रमा
ज्योतिषाचार्य डॉ.अरविंद मिश्र का कहना है कि वट वृक्ष की पूजा करते समय सूत से सात परिक्रमा लगाए। माता गौरी का गौर बनाएं। वट वृक्ष ज्येष्ठ के मास में कपोले आती है, उन्हीं कपोलों को चढ़ाएं और उनका सेवन करें। पूजा के लिए कच्चा सू त, फल, धूपवत्ती, भिगोया हुआ चना, फूल फल, मौली, रोली, जल आदि सामग्री लें। मिट्टी के बनाए गौर या सत्यवान सावित्री और यमराज की प्रतिमाओं को वट वृक्ष के नीचे स्थापित करें। सबसे पहले जल से वट वृक्ष को सींचकर तने को चारों तरफ कच्चा धागा लपेटकर उसकी तीन बार परिक्रमा लगाएं। इसके बाद सत्यवान और सावित्री की कथा सुनें। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन इस व्रत को रखने से परिवार में सुख शांति आती है और सुहाग की आयु लंबी होती है।
ज्योतिषाचार्य डॉ.अरविंद मिश्र का कहना है कि वट वृक्ष की पूजा करते समय सूत से सात परिक्रमा लगाए। माता गौरी का गौर बनाएं। वट वृक्ष ज्येष्ठ के मास में कपोले आती है, उन्हीं कपोलों को चढ़ाएं और उनका सेवन करें। पूजा के लिए कच्चा सू त, फल, धूपवत्ती, भिगोया हुआ चना, फूल फल, मौली, रोली, जल आदि सामग्री लें। मिट्टी के बनाए गौर या सत्यवान सावित्री और यमराज की प्रतिमाओं को वट वृक्ष के नीचे स्थापित करें। सबसे पहले जल से वट वृक्ष को सींचकर तने को चारों तरफ कच्चा धागा लपेटकर उसकी तीन बार परिक्रमा लगाएं। इसके बाद सत्यवान और सावित्री की कथा सुनें। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन इस व्रत को रखने से परिवार में सुख शांति आती है और सुहाग की आयु लंबी होती है।