नगाड़ों के साथ सर्प्रथम प्रथमपूज्य गणपति जी की सवारी और उसके पीछे घोड़ों पर सवार चार राजकुमार हर किसी का मन मोह रहे थे। 18 राजकुमार व 18 नागकन्याओं की शोभायात्र सबसे अधिक आकर्षक का केन्द्र रही। इसके पीछे था महाराजा अग्रसेन व महारानी माधवी के स्वरूप बने पवन बंसल व कंचन बंसल का रथ। अंत में महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा, जिसका जगह-जगह आरती व पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। हर सवारी के आगे बैंड बाजों और जगमग करती रोशनी थीं। प्रातः मत्रोच्चारण के साथ अग्रवन में समिति के सदस्यों ने हवन किया।
महाराजा अग्रसेन जयन्ती के पलक्ष्य में जगमग रोशनी से सजे बल्केश्वर में अग्रसमाज के 18 गोत्रों के नाम से 18 भव्य द्वार भी बनाए गए। हर द्वार को एक गोत्र का नाम देकर रोशनी से भव्यता के साथ सजाया गया। महाराजा अग्रसेन जयन्ती की शोभायात्रा इन्हीं 18 द्वारों से होकर गुजरी। जहां जगह-जगह पुष्प वर्षा कर अग्रबंधुओं ने उसका स्वागत किया। 11 अक्टूबर को अग्रवन में दोपहर 2 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम व शाम 6 बजे से सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा।
संस्थापक ताराचंद मित्तल, मार्गदर्शक वीके अग्रवाल, मुख्य संरक्षक संतोष कुमार गोयल, अध्यक्ष प्रकाश चंद अग्रवाल, रमन अग्रवाल, भोलानाथ अग्रवाल, चंद्रेश गर्ग, रवि अग्रवाल, सतीश चंद अग्रवाल, बॉबी जौनई, पंकज अग्रवाल, मधुबाला अग्रवाल, ममता सिंघल, रजनी अग्रवाल, रितु गोयल, आशा अग्रवाल, बेबी अग्रवाल, नूतन अग्रवाल, निशा सिंघल, सुनील अग्रवाल, दिनेश बंसल, बृजमोहन बंसल, राम प्रकाश अग्रवाल, मुरारीलाल गोयल, मुरारीप्रसाद अग्रवाल आदि।