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आगरा

अखिलेश के बाद योगी आदित्यनाथ ने भी तोड़ा मायावती का हसीन ख्वाब

मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट कांशीराम आवास योजना से पलायन को मजबूर हुए

आगराJun 23, 2018 / 05:24 pm

अभिषेक सक्सेना

mayawati

अखिलेश के बाद योगी आदित्यनाथ ने भी तोड़ा मायावती के सपनों का हसीन ख्वाब

आगरा। खुद की छत का सपना सभी का होता है। साल 2008 में मायावती ने कांशीराम आवास योजना के तहत गरीब परिवारों को खुद के घर मुहैया कराए थे। आगरा में कांशीराम आवास योजना कालिंदी बिहार में बनकर तैयार हुई थी। मायावती की सरकार जब तक रही, यहां के लोगों को बिजली, पानी, सड़क सभी की सुविधाएं मिलती रहीं। लेकिन, मायावती की सरकार के बाद यहां किसी अधिकारी, जनप्रतिनिधि ने झांककर नहीं देखा। कांशीराम आवास योजना में कालिंदी बिहार में रह रहे लोग आज मूलभूत सुविधाएं ना मिलने के चलते पलायन करने को मजबूर हैं। पत्रिका टीम ने कालिंदी बिहार में जब वहां का हाल जाना तो हालात बद से बदतर नजर आए।
बच्चों की गूंजती थी किलकारियां, आज लगे ताले
जिन घरों में बच्चों की किलकारियां गूंजा करती थी आज वहां ताले लगे हुए हैं। कालिंदी बिहार की बी ब्लॉक कॉलोनी में बने करीब 304 घरों में अब महज कुछ ही घरों में लोग रह गए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि लोग घर छोड़कर चले गए। जब पत्रिका टीम ने वहां पहुंचकर लोगों से बात की तो पूरा मामला सामने आया। बी ब्लॉक निवासी सरोज चौहान का कहना है कि कांशीराम आवास योजना में जब घर आवंटित हुए थे तो सभी बड़े खुश थे। रहने को घर मिलेगा, बच्चों का भविष्य उज्जवल रहेगा। सरोज चौहान ने बताया कि गरीब परिवारों को आखिर क्या चाहिए। रहने के लिए घर मिल जाए और बच्चों को शिक्षा। लेकिन, जब मायावती की सरकार थी तो सारी मूलभूत सुविधाएं कांशीराम आवास योजना के लोगों को मिल रही थीं। लेकिन, सरकार बदलते ही यहां मूलभूत जरूरतों का टोटा शुरू हो गया।
पढ़ने के लिए स्कूल नहीं, घरों की हालत खस्ता
सरोज चौहान ने बताया कि दस वर्षों में ही कांशीराम आवास योजना के घरों की हालत खस्ता हो गई। घर गिरासू हाल में हैं। यहां बच्चों के पढ़ने के लिए कोई स्कूल नहीं है। प्राइमरी स्कूल चार किलोमीटर की दूरी पर है, जहां तक बच्चों के जाने के लिए साधन मुहैया नहीं हैं। सरकारों ने इन आवासों की ओर कभी मुड़कर नहीं देखा। भाजपा और समाजवादी सरकार का कोई भी जनप्रतिनिधि यहां आकर बच्चों की शिक्षा की ओर ध्यान नहीं देता। ऐसे में कई परिवार पलायन कर गए। एक वक्त एक बिल्डिंग में सोलह परिवार रहते थे। लेकिन, आज चार से पांच ही परिवार रह रहे हैं।

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