scriptआइए, इस वीडियो में नंदी के ‘खेल’ को समझें और धर्म के नाम पर लूट से बचें | Nandi bail ka Khel video hindi news | Patrika News
आगरा

आइए, इस वीडियो में नंदी के ‘खेल’ को समझें और धर्म के नाम पर लूट से बचें

कमाल नंदी का नहीं, नंदी के साथ रहने वाले व्यक्ति का है। जैसे मदारी बंदर का खेल दिखाता है, वैसे ही नंदी का खेल है।

आगराJun 18, 2018 / 01:00 pm

Bhanu Pratap

Nandi

Nandi

डॉ. भानु प्रताप सिंह

आगरा। टीकाटीक दोपहरी में आगरा के बोदला चौराहे पर मैंने देखा कि एक युवा नादिया को लेकर जा रहा है। मन में विचार आया कि क्यों न नादिया पर स्टोरी तैयारी की जाए। बोदला चौराहे से आगे जाकर मैंने अपना वाहन रोका। नादिया वाले को रुकने का इशारा किया तो वह सहर्ष रुक गया। मेरे पूछने पर नादिया वाले ने बताया कि उसका नाम विशाल है। वह पृथ्वीनाथ फाटक पर रहता है। नादिया का नाम राजू बाबू है। नादिया को सिद्धि है कि वह सही और गलत बताता है। मन की बात जान लेता है। यह भी बता देता है कि मन में सोचा हुआ काम पूरा होगा या नहीं। पत्रकार बुद्धि के बल्ब जल गए। मैंने इसे परखना चाहा।
यह भी पढ़ें

वृन्दावन में आकर मन हो जाता है निर्मल, पढ़िए एक सच्ची कहानी

पहली परख में फेल

अपना वाहन एक ओर लगाया। नादिया को वहां रुका देखकर कुछ लोग आ गए। बोदला के राजेश वर्मा से मैंने कहा कि आप अपने एक हाथ की मुट्ठी में सामान रखो और दूसरी मुट्ठी खाली रखो। देखते हैं नादिया बता पाता है या नहीं। राजेश वर्मा ने यही किया। विशाल ने अपने नादिया को इशारा किया। नादिया ने दायीं मुट्ठी पर मुंह रखा। मुट्ठी खोलकर देखी तो खाली थी।
यह भी पढ़ें

आगरा यूनिवर्सिटी दे रही 50 में से 68 नंबर, ये मार्कशीट देख रह जाएंगे हैरान

दोबारा भी फेल

मैंने विशाल से कहा कि नादिया तो फेल हो गया। इस पर विशाल ने कहा कि कभी-कभार फेल हो जाते हैं। मैंने कहा कि ठीक है, दोबारा करके देखते हैं। पूरी प्रक्रिया दोबारा की गई। नादिया ने फिर दाईं ओर की मुट्ठी पर जीभ लगाई, लेकिन यह खाली थी। नादिया दोबारा फेल हो गया। मैंने विशाल से फिर कहा। इस पर विशाल ने चालाकी भरा जवाब दिया कि नंदी ने मुट्ठी पर जीभ तो लगाई है। राजेश वर्मा ने कहा कि चार बार में से एक बार तो सही बैठेगा। हर बार सही हो, तब बात है।
यह भी पढ़ें

देखिए यूपी पुलिस का कारनामा, जुआरियों को पकड़ा और रुपयों का कर लिया बंदरबांट

इशारे पर काम करता है नंदी

इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाने के दौरान मैंने विशाल की एक ट्रिक पर गौर किया। असल में नादिया को कुछ नहीं पता। वह तो विशाल के इशारे पर काम करता है। विशाल हाथ के इशारे से नादिया को आगे बढ़ने को कहता है तो वह आगे बढ़ जाता है। हाथ का इशारा कर पीछे हटने को कहता है तो पीछे हट जाता है। यह बात विशाल ने स्वीकार भी की। आमतौर पर व्यक्ति सीधे हाथ की मुट्ठी में ही सामान रखता है। इस कारण नादिया को इशारा सीधे हाथ की मुट्ठी की ओर किया जाता है। तो कमाल नंदी का नहीं, नंदी के साथ रहने वाले व्यक्ति का है। जैसे मदारी बंदर का खेल दिखाता है, वैसे ही नंदी का खेल है। अगर आप कथित नंदी से काम बनने की पूछते हैं तो धोखा खा सकते हैं।
यह भी पढ़ें

पत्नी की कनपटी पर तमंचा रख नकाबपोश बदमाशों ने आंखों के सामने ही पति को उतार दिया मौत के घाट

फ्लैश बैक

मुझे याद है मेरे गांव में अकसर नंदी आता था। लोग श्रद्धावश नंदी का मस्तक छूते थे। नंदी को लेकर आने वाला व्यक्ति कहता था- नंदी बाबा बताओ, इन बच्चों में आगे जाकर कौन अपने मां-बाप का नाम रोशन करेगा। नंदी एक चक्कर लगाता था और किसी न किसी बच्चे के पास जाकर रुक जाता था। इस तरह के बहुत सारे सवाल होते थे और उनका जवाब नंदी देता था। इसके बदले बहुत सारा अनाज दिया जाता था। तब नकदी तो होती नहीं थी। सबकुछ अनाज के बदले मिल जाता था। आज जब इसकी परख की तो पता चला कि यह तो धर्म के नाम पर किया जा रहा ‘खेल’ है। यह तो धर्म के नाम पर पैसे बनाने की कला है। बैल को नंदी या नंदेश्वर कहकर संबंध भगवान शंकर से जोड़ दिया जाता है। इसके बाद तो धर्मभीरु लोग नंदी के वश में हो जाते हैं।
यह भी पढ़ें

भाजपा के इस राष्ट्रीय नेता ने कहा- आगरा से प्रभु दयाल कठेरिया को मिलेगा टिकट, दावेदारों में मची खलबली

यह भी उल्लेखनीय

मैं यहां यह भी लिखना चाहूंगा कि इस स्टोरी के चक्कर में ट्रैफिक पुलिस वालों ने मेरा वाहन क्रेन पर लाद लिया। मैं स्टोरी करने में इतना मशगूल था कि यातायात पुलिस ने कब यह सब कर डाला, पता ही नहीं चला। वाहन मुझसे आठ कदम की दूरी पर ही था। अचानक नजर पड़ी तो मैं चौंका। मैंने कारण पूछा तो जवाब मिला कि नो पार्किंग है। फिर 300 रुपये शुल्क देकर वाहन को तत्काल छुड़वाया। यातायात पुलिस के उपनिरीक्षक सतीशचंद यादव का कहना था कि अगर पुलिस लाइन गए तो क्रेन का खर्च और देना पड़ेगा। ड्यूटी का निर्वहन ठीक से करने के लिए मैंने आभार जताया। सतीश चंद यादव को ताज्जुब इस बात पर हुआ कि किसी नेता या अधिकारी से फोन नहीं कराया। मुझे भी लगा कि गलत किया हो तो दंड भुगतना होगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो