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आगरा

बेबस जिंदगी..अपनों ने छोड़ा बेसहारा, खुला आसमां उसका बिछौना

नियम बन गए फच्चर। परेशान हो रहा बुजुर्ग।

आगराJan 20, 2016 / 09:57 am

raktim tiwari

कड़ाके की ठंड हो या झुलसाने वाली गर्मी। बारिश से तन भीगे या अंधड़ से हो परेशान। सिर ढकने को छत न खाने-पीने का कोई ठिकाना। कभी अपनों ने रुलाया तो आज पराए सता रहे हैं। ऐसा ही दंश एक बुजुर्ग भोगने को मजबूर है।

बिहार के कर्णपुर थाना सुपोल निवासी श्रीनारायण पाठक (52) को इन दिनों पुष्कर में कड़ाके की ठंड के बीच खुले आसमां तले रतजगा करना पड़ रहा है। पाठक ने समाज कल्याण विभाग के वृद्धाश्रम से आसरा मांगा तो कानून-कायदे आड़े आ गए। गड्ढे में धंसी आंखें। पतली-दुबली काया। शरीर पर सादा कपड़े पहने पाठक काफी निराश है। उम्र के अंतिम पड़ाव में बेटे व पत्नी ने बेसहारा बना दिया तो अब सरकार-प्रशासन साथ नहीं दे रहा।
….तो बेटी के घर चला जाता

तीर्थनगरी पुष्कर में पाठक कभी हाथ जोड़कर वृद्धाश्रम में ठहराने की गुहार करता दिखा तो कभी आसमां को देख ईश्वर से ऐसी सजा का सवाल कर रहा है। आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे। उसके मुंह से बार-बार केवल एक ही वाक्य निकल रहा है कि दुर्भाग्य यही है कि एक भी बेटी नहीं जन्मी। अन्यथा मैं उसके पास चला जाता। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को मानवीय संवेदनाओं से कोई वास्ता तक नहीं है। बुधवार को पाठक को एक बार फिर बाहर का रास्ता दिखाने पर आमादा है।

ऐसा परिवार फिर भी…

पाठक मूलत: नेपाल बार्डर के पास बिहार के सुपोल थानान्तर्गत कर्णपुर निवासी है। पत्नी सुपोल के राजकीय चिकित्सालय में नर्स है। एक बेटा रूपेश बिहार में गल्र्स स्कूल में प्रधानाध्यापक है तो दूसरा पुत्र चन्द्रपाठक नोयड़ा में इंजीनियर है। पुत्रवधु चन्नू भी सेवारत रही है। श्रीनारायण का आरोप है कि उसके पास दो मंजिला मकान तथा करोड़ों की सम्पत्ति थी, लेकिन बीबी-बच्चों ने सेवा करने के नाम पर हस्ताक्षर कराकर तमाम जायदाद बेच दी। हाल ही चार माह पूर्व घर से निकाल दिया।
साठ साल की उम्र करो पूरी

श्रीनारायण देश के कई स्थानों से भटकता हुआ 16 जनवरी की शाम पुष्कर पहुंचा। यहां समाज कल्याण विभाग के संचालित वृद्धाश्रय में तीन रातें गुजारी। उसका आरोप है कि 18 जनवरी की रात वृद्घाश्रम के अधीक्षक ने 60 साल से कम उम्र वालों को आश्रय नहीं देने की कानूनी अड़चन बताते हुए बाहर निकाल दिया। रात को तेज ठंंड में वह माली मंदिर के पास तिबारी में जाकर बैठ गया। इसी दौरान किसी ने समाज सेविका ज्योति दाधीच को खबर कर दी। दाधीच ने श्रीनारायण को माहेश्वरी सेवा सदन में सर्द रात में ठहराने का प्रबंध कर दवाईयां व भोजन का इंतजाम कर दिया।

पाठक को समाज कल्याण विभाग के वृद्धाश्रय में रखने की गुहार की तो अधीक्षक रामगोपाल आचार्य व उप निदेशक विजय लक्ष्मी ने आयु कम होना बताकर आश्रय देने से इंकार कर दिया। उनका तर्क था कि नियमों के अनुसार पुरुष की आयु 60 व महिला की 55 वर्ष होनी चाहिए। इससे कम आयु वालों को आश्रय नहीं दिया जा सकता। दूसरी ओर श्रीनारायण के परिचय पत्र में आयु 52 वर्ष की अंकित है। फिलहाल मंगलवार रात तो पाठख को आश्रय मिल गया है लेकिन बुधवार प्रात: उसे व़ृद्घाश्रम से निकलना होगा।

…और छलछला गई आंखें

धार्मिक पुष्कर नगरी में साधु-संतों को आश्रय मिल जाता है, लेकिन एक बेसहारा अधेड़ को ठंड से बचाव के लिए दो गज जमीन तक नहीं मिल पा रही है।
ज्योति दाधीच को देख पाठक की आंखें छल-छला गई। ज्योति राधे -राधे सेवा समिति की अध्यक्ष व लक्ष्मी देवी पाराशर ने पाठक की मदद की तो वह भावुक हो उठा। उसने दोनों के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया।

सरकारी नियमों के अनुसार श्रीनारायण पाठक की उम्र 60 वर्ष से कम होने से उसे समाज कल्याण विभाग के पुष्कर स्थित आश्रय स्थल में नहीं रख सकते।

विजयलक्ष्मी गौड, उपनिदेशक समाज कल्याण विभाग-अजमेर।

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