ज्योतिषाचार्य उषा पारीक बताती हैं कि जिन लोगों की कुंडली में राहु पहले, पांचवे, नौंवे व बाहरवें स्थान में बैठा हो तो उन्हें पितृदोष होता है। ऐसे लोगों को शुभ काम करने में अक्सर बाधाओं का सामना करना पड़ता है। नौकरी प्राप्त करने, विवाह, घर बानाने आदि में दिक्कतें आ सकती हैं। पितृदोष के निवारण के लिए सबसे उपयुक्त समय पितृ पक्ष होता है। इस समय यदि कुछ सामान्य उपाय कर लिए जाएं तो आप इस दोष से मुक्त पा सकते हैं या फिर इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं। यदि उपाय एक पंथ दो काज यानि पितृदोष से मुक्त और प्रदूषण को कम करने में योगदान देने वाले पेड़ पौधे लगाने से सम्बंधित हो तो कोई गुरेज नहीं होना चाहिए।
उषा पारीक बताती हैं कि गीता में श्रीकृष्ण ने पेड़ों में खुद को पीपल बताया था। इसलिए यदि आप पीपल व गूलर के पेड़ को नाली के पास या किसी दूषित स्थान पर लगा देखें तो उसे नदी किनारे, किसी बगीची या मंदिर में रोपने से पितृदोष दूर होता है। पीपल व गूसर के नए पौधो भी रोपने से यह दोष कम होता है। इसके साथ गऊ की सेवा व दान करने से भी पितृदोष का प्रभाव कम होता है।
-गंगास्नान का इन 16 दिनों में विशेष महत्व है। पित्रों को गंगा स्नान कराकर श्राद्ध व ब्रह्मभोज कराना चाहिए।
– जो लोग भागवत नहीं करा सकते वह पितृ पक्ष के 16 दिनों में गीता के 18 अध्याय को घर में निश्चित समय पर दीपक जलाकर पढ़ें। घर में भागवत का पाठ खुद भी कर सकते हैं।
-पितृ अमावस्या के दिन पीपल व गूलर के पौधें लगाएं। यदि पीपल या गूलर के पौधे किसी अपवित्र स्थान पर लगा देखें तो उसे मंदिर, नदी किनारे या बगीचे में लगाएं।