ज्योतिषाचार्य का कहना है कि हमारे पितरों ने हमारे लिए जो कुछ भी किया है उसका कर्ज चुकाने का समय है पितृपक्ष। पितृपक्ष सोलह दिन का होता है जो पूरी तरह हमारे पितरों को समर्पित है। माना जाता है कि इस दौरान हमारे पितर हमारे बेहद करीब होते हैं। चूंकि पितृ पक्ष का सीधा संबंध मृत्यु से होता है, इसलिए इस अवधि में मांगलिक कार्यों को त्यागकर अपने पितरों के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है। यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष में कोई शुभ कार्य करने या नई वस्तु खरीदने की मनाही है।
पितृ पक्ष को लेकर मान्यता है कि इस दौरान हमारे पितर पितृलोक से उतरकर पृथ्वीलोक में आते हैं। पितृलोक में इस दौरान जल की कमी होती है, ऐसे में उन्हें पृथ्वीलोक पर जल अर्पित करके तर्पण किया जाता है। उन्हें याद करके पंडित को भोजन कराया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से पितृगणों को शान्ति मिलती है और वो बहुत खुश होते हैं। इससे घर में सुख शांति और समृद्धि बरकरार रहती है। साथ ही घर में पितृदोष नहीं लगता।
– जरूरत मंद लोगों में कपड़े और खाना बांटें। इससे पितरों को शान्ति मिलती है।
– श्राद्ध दोपहर के बाद नहीं करना चाहिए। इसे सुबह या दोपहर चढ़ने से पहले ही कर लेना चाहिए।
– श्राद्ध के दौरान जब ब्राह्मण भोज करवाया जा रहा हो तो हमेशा दोनों हाथों से खाना परोसना चाहिए।
– श्राद्ध के दिन प्याज और लहसुन जैसी चीजों का प्रयोग ना करें। माना जाता है जो सब्जियां जमीन के अंदर से उगती हैं उन्हें पि तरों को नहीं परोसा जाता है।