किस तरीके का लोन चाहिए, कितना चाहिए, क्या काम करते हैं, आमदनी कितनी है, आधार कॉर्ड नंबर है, पेन नंबर है, सेलरी या बिजनेस से आमदनी है, सेलरी बैंक से मिलती है या फिर कैश। कितनी साल से नौकरी में हो। कितने साल से रिटर्न जमा कर रहे हो। घर लेना है या दुकान और प्लॉट, घर गांव में लेना है या फिर देहात में। कोई अन्य लोन चल रहा है।
हमारे साथ एक डमी के रूप में व्यक्ति थे। उन्होंने कहा किसान हूं साहब घर बनवाना है। इस पर बड़े बाबू की भौंहे तन गईं और बोले पहले कागज पूरे करके लाओ। जब प्रधानमंत्री आवासीय ऋण योजना की जानकारी देनी बात की गई, तो बोले सब्सिडी के चक्कर में पड़े हो। फिर उन्होंने अपना सालों का ज्ञान देना शुरू कर दिया। कहा नौ प्रतिशत की ब्यॉज मिलेगी। प्रतिमाह दस साल या पंद्रह साल तक की पूरी किश्त जमा होगी। आखिरी में जब पूरा पैसा जमा हो जाएगा। उसके बाद सब्सिडी लौटकर आएगी। सब्सिडी के सब्जबाग में न पड़ना। सब्सिडी का पैसा पूरा पैसा जमा करने के बाद सालों बाद मिलेगा। ब्याज का तीन प्रतिशत या चार प्रतिशत काटने वाली बात जब हमने की, तो उन्होंने साफ मना कर दिया। फिर बोले तीन साल के रिटर्न चाहिए। दूसरा इनकम। बीस हजार रुपये से अधिक की इनकम चाहिए। घर बनवाना है तो प्लॉट खुद का होना चाहिए। जगह स्वयं की नहीं हैं, तो लोन नहीं मिलेगा। शहर में होनी चाहिए या गांव में होनी चाहिए। जब कागज पूरे हो जाएं, तब बैंक में आना।
इस संबंध में संबंधित बैंक के मैनेजर से जब बात की गई, तो उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री ऋण योजना के तहत सारी सहूलियतें जनता को दे रहे हैं, जैसा उन्हें निर्देश मिले हैं। कागजों की जरूरतें तो होती हैं।