scriptप्रदोष व्रत: जीवन की सभी अड़चनों को दूर करने के लिए आज रहें बुध प्रदोष का व्रत | pradosh vrat dates 2017 muhurat puja vidhi and mahatv in hindi | Patrika News
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प्रदोष व्रत: जीवन की सभी अड़चनों को दूर करने के लिए आज रहें बुध प्रदोष का व्रत

दिन के मुताबिक फल देता है प्रदोष व्रत, जानें विभिन्न दिनों के मुताबिक रखे जाने वाले प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन विधि के बारे में।

आगराNov 15, 2017 / 10:38 am

suchita mishra

pradosh vrat

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जीवन की सभी अड़चनों को दूर करने वाला प्रदोष व्रत हर माह में दो बार आता है। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को। ये व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से दो गायों को दान करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत को रहने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। आज यानी 15 नवंबर को मार्गशीर्ष माह की त्रयोदशी है, इसलिए आज तमाम श्रद्धालु प्रदोष का व्रत रखेंगे। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरबिंद मिश्र से जानिए इस व्रत के बारे में।
दिन के मुताबिक अलग अलग महत्व
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस व्रत का दिन के मुताबिक अलग अलग महत्व है। सोमवार का प्रदोष रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंगलवार का प्रदोष परिवार को बीमारियों से दूर रखता है। बुधवार के दिन इस व्रत को रखने से जीवन की सभी अड़चनें दूर होती हैं, पराक्रम बढ़ता है व सभी कामनाओं की सिद्धि होती है। गुरुवार का व्रत दुश्मनों से छुटकारा दिलाता है। शुक्रवार प्रदोष व्रत पति पत्नी के बीच संबंधों को बेहतर बनाए रखने के लिए होता है। शनिवार को प्रदोष व्रत रखने से संतान की प्राप्ति व संतान की रक्षा होती है। रविवार प्रदोष अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए रखा जाता है।
जानें व्रत विधि
सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े पहनें और भोलेनाथ व माता पार्वती का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। दिन में स्वेच्छानुसार फलाहार आदि ले सकते हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद और रात से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है। प्रदोष काल में स्वच्छ व्रस्त्र धारण करके ईशानकोण में मुंह करके बैठें। चौक आदि बनाकर भोलेनाथ और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद भगवान का जलाभिषेक करें। साथ ही ओम् नम: शिवाय का जाप करते रहें। फिर घी का दीपक जलाएं, गाय का घी हो तो उत्तम है। धूप जलाएं, बेल पत्र, दूर्वा आदि चढ़ाएं। प्रसाद का भोग लगाएं व प्रदोष कथा का पाठ करें। रुद्राक्ष की एक माला या श्रद्धानुसार पांच या सात माला से मंत्र का जाप करें। आरती गाएं व अंत में क्षमायाचना करके लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
पूजन का शुभ मुहुर्त : शाम 05:25 से शाम 07:20 तक

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