राधास्वामी मत के आदि केन्द्र हजूरी भवन, पीपल मंडी में ‘पत्रिका’ से बातचीत में दादाजी महाराज ने कहा कि सुधार के लिए अध्यात्म की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए, जो कि हमारी भारतीय संस्कृति का मूल तत्व है। यह कहे जाने पर दीपावली पर गणेश पूजा और लक्ष्मी पूजा होती है, क्या यह अध्यात्म नहीं है, दादाजी ने कहा कि यह अलग बात है। कोई रामचन्द्र जी के वापस आने पर दीपावली मनाता है। उन्होंने कहा कि अध्यात्म तो आंतरिक चीज है। अध्यात्म का संबंध आत्मा है, जिसे हम सुरत कहते हैं। आत्मा यहां फंसी हुई है। मन के चक्कर में फंसी हुई है। मन को नियंत्रित रखने की जरूरत है। मन नियंत्रित होता है अध्यात्म की ओर जाने से।
पहले कई नैतिक स्तर था और एक लक्ष्मण रेखा थी। अफसोस की बात ये है वो लक्ष्मण रेखा पार करने में लोगों को कोई संकोच नहीं हो रहा है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि लक्ष्मण रेखा को पार मत करो। हम सब जानते हैं कि सीताजी ने लक्ष्मण रेखा पार की तो क्या हुआ? दादाजी ने कहा कि हमें अपने परिवार को शुरू से ही संस्कार देने होंगे। बच्चों को बताना होगा कि अच्छा क्या है और बुरा क्या है? उच्च शिक्षा का मतलब ये नहीं है कि हम अपने नैतिक मूल्यों को ही तिलांजलि दे दें। दुनियाभर में हमारी पहचान हमारे नैतिक मूल्यों के कारण ही है।