आगरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गौसेवा पर जोर दिया है। गौसेवा प्रकल्प को संघ पूरी ताकत के साथ चलाएगा। वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ समाज के बीच कार्यकर्ता जाएंगे। देसी गाय पालन के लाभ बताएंगे। बता दें कि हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि गौसेवा की आड़ में 80 फीसदी लोग गोरखधंधा कर रहे हैं। इसे लेकर गौसेवा मे लगे लोगों के मन में तमाम तरह की आशंकाएं थीं, जो अब दूर हो गई हैं।
कोई सरकारी सहायता न लें
डॉ. मोहन भागवत डॉ. एमपीएस वल्र्ड स्कूल, सिकंदरा में संघ के तीन प्रांत ब्रज, मेरठ और उत्तराखंड के प्रांतीय पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। बैठक में प्रत्येक प्रांत का वृत्त लिया गया। सबने अपने यहां हो रहे कार्यों की जानकारी दी। मोहन भागवत ने सामाजिक परिवर्तन पर जोर दिया। सरकार से किसी भी प्रकार की मदद न लेने की हिदायत दी। सरकारी सहायता की इसमें कोई अपेक्षा स्वयंसेवक को नहीं रहती। सरकारी सहायता से समाज को स्वयं खड़ा करने की कोशिश सफल नहीं हो सकती।
इन कार्यों से होगा परिवर्तन
सरसंघचालक ने कहा कि स्वयंसेवकों द्वारा चलाये जा रहे सेवा कार्यों तथा गौसेवा, ग्रामविकास, सामाजिक समरसता आदि गतिविधियों का उद्देश्य समाज में परिवर्तन लाना है। सभी वर्गों को परस्पर स्नेह-सूत्र में जोड़ना है।
ऐसे आएगी सामाजिक समरसता
सामाजिक समरसता के विषय पर बोलते हुए श्री भागवत ने कहा कि केवल वैचारिक प्रतिपादन मात्र से बदल नहीं आयेगी। कथित सवर्ण व अवर्ण व्यक्तियों एवं परिवारों के बीच मैत्री व स्नेह के सम्बन्ध बनने चाहिये, एक-दूसरे के यहां आने-जाने का व्यवहार विकसित होना चाहिए, जिससे समरस समाज की सृष्टि होगी।
जाति-सम्बन्धी मुहावरे कभी भी प्रयोग न करें
उन्होंने कार्यकताओं को सचेत किया कि आपसी बातचीत में जाति-सम्बन्धी मुहावरे कभी भी प्रयोग न करें। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में प्रथम अन्तर्जातीय विवाह 1942 में सम्पन्न हुआ, जिसके लिए बाबा साहब अम्बेडकर और तत्कालीन सरसंघचालक माघवराव गोलवलकर ने भी हर्षित होकर मंगलकामनाएं भेजी थीं। पूरा समाज महापुरुषों के जन्मोत्सव इकट्ठा मनाएं, इससे भी समरसता का पोषण होगा।
देसी गाय का दूध सर्वेश्रेष्ठ
गौसेवा के विषय पर बोलते हुए श्री भागवत ने कहा कि देसी गाय का दूध सर्वश्रेष्ठ है। यह ए-2 प्रकार का है, जो अनेक रोगों को दूर करता है, जबकि जर्सी आदि तमाम विदेशी नस्लों का दूध गुणवत्ता में कम है। उन्होंने कहा कि ब्राजील ने भारत की गिर प्रजाति की गाय आयात कर विकसित की। आज गिर विश्व की सर्वश्रेष्ठ गाय मानी जा रही है। दूध की मात्रा व गुणवत्ता दोनों मानकों पर सर्वोत्तम है।
ब्राजील का उदाहरण
उन्होंने कहा कि ब्राजील के अलावा चार अन्य देश भी भारतीय नस्लों को विकसित कर रहे हैं। कृषि कार्य के लिए भी भारतीय नस्लें अपने गोबर व गोमूत्र से उपज बढ़ाने में सहायक हैं। भारतीय बैल जुताई आदि काम सम्पन्न कर सकते हैं, जहाँ विदेशी नस्लें पूरी तरह असफल हैं। गौसेवा के काम में लगे कार्यकर्ताओं द्वारा यह पूरा विषय वैज्ञानिक प्रमाणों सहित समाज के बीच जाना चाहिए।
ग्राम विकास
डॉ. भागवत ने कहा कि स्वयंसेवकों द्वारा ग्राम-विकास का काम हाथ में लेने का उद्देश्य भी समाज को स्वावलम्बन के आधार पर एकजुट खड़ा करना है। ग्रामों में भी सभी वर्ग, सभी जातियाँ मिल-बैठकर स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि विषयों पर अपने संसाधनों से स्वावलम्बी बनते हुए सुधार और विकास के मार्ग पर बढ़ें, यह स्थिति व्यवहार के धरातल पर उतरनी चाहिए।
कुटुम्ब प्रबोधन
उन्होंने कहा कि कुटुम्ब-प्रबोधन का महत्त्वपूर्ण कार्य भी बेटा-बेटी सहित पूरे परिवार को आत्म-विकास करते हुए समाज व राष्ट्र के लिए खुद को उपयोगी बनाने की दृष्टि देने हेतु स्वयंसेवक कर रहें है। अपने समाज की सुदृढ़ता उसकी धर्म-संस्कृति के सुदृढ़ बने रहने पर निर्भर है। यह संस्कार परिवार नामक इकाई से बच्चों को मिलते रहना चाहिए। भारत की परिवार व्यवस्था तमाम पश्चिमी देशों में आज अनुकरणीय मिसाल बनी हुई है। उसके विखंडन को रोकने के लिए तथा उसे संस्कार-प्रणाली की प्रभावी कड़ी बनाने के काम में कुटुम्ब-प्रबोधन नामक गतिविधि भी स्वयंसेवक चलाते हैं।
ये रहे उपस्थित
बैठक में संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख सुरेश, राष्ट्रीय कार्यकारी मण्डल के सदस्य तथा क्षेत्र संघचालक डॉ. दर्शनलाल अरोड़ा, प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला, आगरा के अशोक कुलश्रेष्ठ, सुभाष वोहरा, प्रांत प्रचार प्रमुख प्रदीप, सभी क्षेत्रीय व प्रान्तीय अधिकारी उपस्थित रहे।