ये है अवकाश की कहानी
कैलाश महादेव मंदिर के महंत निर्मल गिरी ने बताया कि अंग्रेजों के शासनकाल में एक कलेक्टर थे। उनके कोई संतान नहीं थी। उन्होंने हर स्थान पर पूजा-अर्चना कर मन्नत मांगी, लेकिन उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई, जिसके बाद वे यमुना किनारे स्थित कैलाश मंदिर आए। यहां उन्होंने संतान के लिए भगवान शिव से मन्नत मांगी। भगवान शिव की कृपा से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई, जिसके बाद से कलेक्टर ने आगरा में कैलाश मेले वाले दिन स्थानीय अवकाश की घोषणा की थी।
भगवान भोले हर मुराद करते हैं पूरी
महंत निर्मल गिरी ने बताया कि कैलाश महादेव की कृपा हर भक्त पर बरसती है। यदि कोई सच्चे मन से कोई भी मन्नत मांगता है, तो वह पूरी होती है। उन्होंने बताया कि श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है। इस मास में पूजा अर्चना करने से भगवान शिव सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। भगवान शिव को सावन में हर दिन विल्वपत्र और गंगाजल चढाने से सभी मन्नत पूरी होती हैं। भगवान शिव का सोमवार को दुग्धाभिषेक करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।