केस संख्या 1. नीरज चाहर शिक्षामित्र हैं और उन्होंने मूल तैनाती के लिए ब्लॉक फतेहपुरसीकरी के नगला बंजारा का विद्यालय चुना था। अछेनरा के मांगरोल से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शमसाबाद क्षेत्र में पिंकी शर्मा प्राथमिक विद्यालय बाद, ब्लॉक बरौली अहीर के लिए मांग की थी लेकिन, जबरदस्ती उन्हें शमसाबाद के कौलारी का स्कूल दे दिया गया। ऐसे ही करीब चार सौ महिला शिक्षामित्रों के उदाहदण देखने को मिलते हैं।
आगरा जनपद में 88 लोगों की ही मूल विद्यालय के लिए सूची जारी की जा रही है। शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र छौंकर का कहना है कि विश्वास में लेकर धोखे से प्रथम सूची से शेष रह गए सभी लोगों को मूल विद्यालय में डाल दिया गया। जबकि शासनादेश में स्पष्ट है कि महिलाओं को उनकी ससुराल या नजदीक के विद्यालय में समायोजित किया जाएगा। जनपद आगरा में बीएसए द्वारा शासनादेश का पालन नहीं करते हुए सूची जारी की गई है जो सरासर गलत है। जब सब को मूल विद्यालय में ही वापस करना था तो आवेदन किस लिए करवाए गए। संगठन इसका विरोध करता है और इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की जाएगी। जिन बहनों ने अपनी ससुराल या ससुराल के निकट के विद्यालय का विकल्प भरा था। यदि उन्हें जबरदस्ती वापस मूल विद्यालय भेज दिया गया है, तो वे कतई ज्वाइन नहीं करें। शासनादेश के विरुद्ध इस तरह के तुगलकी फरमान का संघ पूरी तरह से बहिष्कार करता है इस तरह से हुई अनैतिक प्रक्रिया का विरोध किया जाएगा।