जिस समय शहीद सीआरपीएफ जवान कौशल कुमार का शव घर पर आया था तो ताबूत में बंद था। शव क्षत विक्षत होने के कारण बेटा पिता के पार्थिव शरीर को भी नहीं देख पाया था। सोमवार को जब छोटा बेटा विकास परिवार के लोगों के साथ पिता की अस्थियां चुनने पहुंचा तो उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। अचानक वो उन अस्थियों में अपने पापा की अंगुली तलाशने लगा। कहने लगा पापा ने अंगुली का सहारा देकर चलना सिखाया था। जब भी लड़खड़ाता था तो पापा की अंगुली जोर से पकड़ लेता था। लेकिन उसे उन अस्थियों में इस बार पिता की अंगुली भी नहीं मिली क्योंकि आतंकियों के कायराना हमले में शहीद के दोनों हाथ भी क्षत विक्षत हो गए थे। अस्थियां सामने देखकर वह फफक पड़ा। अस्थियों को हाथ में लेकर कहने लगा कि पिता की शहादत का बदला जरूर लिया जाएगा। उसको भावुक होते देखकर चचेरे भाई प्रदीप, संदीप, आकाश और पवन ने उन्हें सहारा दिया। खुद अस्थियां चुनीं और उन्हें कलश में रख लिया।