ज्योतिषाचार्य कपिल चतुर्वेदी ने बताया कि ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले यानि 21 अगस्त को सुबह 11.15 बजे से लग जाएगा। ये सूर्य ग्रहण साल 2017 का दूसरा बड़ा ग्रहण है। सोमवार 21 अगस्त को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात में 9.15 मिनट से शुरू होगा और रात में 2.34 मिनट पर खत्म होगा। भारत में इस दौरान रात रहेगी तो यहां पर कहीं भी सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा। माना जाता है कि भारत में सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा तो इसका असर भी नहीं होगा। लेकिन, कई ज्योतिषियों का कहना है कि बेशक भारत में ग्रहण दिखाई नहीं दे, लेकिन इसका असर राशियों पर जरूर पड़ेगा और भारत में भी सूतक लगेगा।
माना जा रहा है कि यह 2017 का दूसरा बड़ा ग्रहण है जो उन लोगों को प्रभावित कर सकता है जिनकी कुंडली में सर्पदोष या चंद्रदोष बना हुआ है।जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है या राहु-केतु की दशा-अंतर्दशा चल रही है या जिनकी कुंडली में सूर्य या चंद्र ग्रहण दोष बना हुआ है उन पर भी ग्रहण का ज्यादा असर होगा। ग्रहण का प्रभाव 30 दिनों तक रहता है। ग्रहण स्पर्श समय-मंत्र जप समय- रात्रि 10:18से 1:32 तक
सूर्य ग्रहण समय- साधनात्मक समय -रात्रि 9:16 से 2:34
बता दें कि सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य और धरती के बीच में चंद्रमा आ जाता है। अमेरिका, यूरोप समेत दुनिया के कई हिस्सों में 21 अगस्त, 2017 को पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। ऐसा संयोग 99 सालों के बाद आया है। जिस वक्त यह सूर्य ग्रहण लगेगा उस वक्त भारत में रात होगी लेकिन अमेरिका में दिन होते हुए भी अंधकार होगा। भारतीय समय के अनुसार यह सूर्य ग्रहण 21 अगस्त की रात्रि 9 बजकर 16 मिनट से आरंभ होगा और रात्रि में 2 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा। इस बार पूर्ण सूर्य ग्रहण दोनों अमेरिकी महाद्वीप के अलावा यूरोप, उत्तर पूर्व एशिया, उत्तरी-पश्चिमी अफ्रीका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर के अधिकांश हिस्सों में दिखेगा। बता दें कि जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तब ‘सूर्य ग्रहण’ कहलाता है। इस खगोलीय घटना से धरती के कुछ हिस्सों में सूर्य नजर नहीं आता है।
सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है, जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपनी छाया में ले लेता तो इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं। ऐसी स्थिति में सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती और धरती पर अंधेरा छा जाता है। दूसरा ग्रहण है आंशिक सूर्य ग्रहण। इसमें चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ढक लेता है। इस दौरान धरती के कुछ हिस्सों पर सूर्य नजर नहीं आता। तीसरा वलयाकार सूर्य ग्रहण है, इसमें चंद्रमा, सूर्य को इस प्रकार से ढकता है कि सूरज का मध्य हिस्सा ही इससे कवर हो पाता है और सूर्य का बाहरी हिस्सा दिख रहा होता है। ऐसी स्थिति में वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।