ये है मामला
अखिलेश यादव की सरकार ने ताजमहल के आंगन कहे जाने वाले ताजगंज क्षेत्र की सूरत को संवारने के लिए 197 करोड़ रुपये ताजगंज प्रोजेक्ट में पानी की तरह बहा दिया, लेकिन यहां के लोगों के लिए ये प्रोजेक्ट आफत बन गया है। खास तोर से बात की जाए, तो कटरा जोगी दास, कटरा उमर खां, कटरा फुलेल, कटरा रेशम जहां ताजमहल का निर्माण करने वाले कारीगरों के वंशज निवास कर रहे हैं, उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है।
अखिलेश यादव की सरकार ने ताजमहल के आंगन कहे जाने वाले ताजगंज क्षेत्र की सूरत को संवारने के लिए 197 करोड़ रुपये ताजगंज प्रोजेक्ट में पानी की तरह बहा दिया, लेकिन यहां के लोगों के लिए ये प्रोजेक्ट आफत बन गया है। खास तोर से बात की जाए, तो कटरा जोगी दास, कटरा उमर खां, कटरा फुलेल, कटरा रेशम जहां ताजमहल का निर्माण करने वाले कारीगरों के वंशज निवास कर रहे हैं, उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है।
बारिश से लगता है डर
यहां के लोगों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि ताजगंज प्रोजेक्ट से सूरत तो बदली, लेकिन अब बारिश से डर लगने लगा है। कटरा फुलेल के मोहम्मद यूसुफ ने बताया कि ताजगंज प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनाई गई सड़कें इतनी उंंचाई पर कर दी गई हैं, कि बारिश का पानी घर और दुकानों में घुस रहा है। वहीं कुत्ता पार्क के समीप एम्पोरियम मालिक ताहिर उद्दीन ताहिर ने बताया कि ताजगंज प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपया पैसे की तरह बहाया गया, लेकिन पानी निकासी की व्यवस्था नहीं की गई। अब तो बारिश से डर लगने लगा।
यहां के लोगों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि ताजगंज प्रोजेक्ट से सूरत तो बदली, लेकिन अब बारिश से डर लगने लगा है। कटरा फुलेल के मोहम्मद यूसुफ ने बताया कि ताजगंज प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनाई गई सड़कें इतनी उंंचाई पर कर दी गई हैं, कि बारिश का पानी घर और दुकानों में घुस रहा है। वहीं कुत्ता पार्क के समीप एम्पोरियम मालिक ताहिर उद्दीन ताहिर ने बताया कि ताजगंज प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपया पैसे की तरह बहाया गया, लेकिन पानी निकासी की व्यवस्था नहीं की गई। अब तो बारिश से डर लगने लगा।
इसलिए परेशान लोग
ताजमहल के पास बसे कटरा जोगी दास, कटरा उमर खां, कटरा फुलेल, कटरा रेशम मुगलकालीन समय से हैं। सकरी गलियां हैं और पुरानी इमारतें। ऐसे में मार्ग बनते गए, और इमारतें नीचे होती गईं। इसके बाद जब ताजगंज प्रोजेक्ट तैयार हुआ, तो यहां बनाई गई सड़क इतनी उंची कर दी गई, कि पानी का ढलान पूरी तरह इन कटरों की तरफ हो गया है। अब बारिश का पानी सीधे घरों और दुकानों में जाता है।
ताजमहल के पास बसे कटरा जोगी दास, कटरा उमर खां, कटरा फुलेल, कटरा रेशम मुगलकालीन समय से हैं। सकरी गलियां हैं और पुरानी इमारतें। ऐसे में मार्ग बनते गए, और इमारतें नीचे होती गईं। इसके बाद जब ताजगंज प्रोजेक्ट तैयार हुआ, तो यहां बनाई गई सड़क इतनी उंची कर दी गई, कि पानी का ढलान पूरी तरह इन कटरों की तरफ हो गया है। अब बारिश का पानी सीधे घरों और दुकानों में जाता है।