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गर्भावस्था में हो सकती है टीबी, फीगो के वैश्विक सम्मेलन में आगरा के डॉक्टर ने बताए बचाव के तरीके

दुबई के फेस्टिवल सिटी में आयोजित इंटरनेशनल कांग्रेस में डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने दिया व्याख्यान, दुनिया भर से 800 और भारत से 15 विशेषज्ञ चिकित्सक बतौ

आगराApr 13, 2018 / 01:53 pm

अभिषेक सक्सेना

dr Narendra Malhotra
आगरा। दुबई के फैस्टिवल सिटी में 11 से 13 अप्रैल तक इंटरनेशनल फेडरेशन आॅफ गायनेकोलाॅजी एंड आॅब्सटेट्रिक्स (फीगो) की ओर से मध्य-पूर्व और अफ्रीका की क्षेत्रीय कांग्रेस आयोजित की गई थी। महिलाओं के स्वास्थ्य, नीति और निर्णय को लेकर इस सम्मेलन में जहां कई मार्मिक मुद्दे उठे, वहीं दुनिया भर से आए करीब 800 मुख्य वक्ताओं ने अपने-अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए और अपने अनुभवों को साझा किया। आगरा के वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा को इस सम्मेलन में गर्भावस्था के दौरान क्षय रोग पर व्याख्यान के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। डॉ. मल्होत्रा ने इस विषय पर भारत और दुनिया भर में गर्भावस्था के दौरान क्षय रोग (टीबी) के हालातों पर अहम जानकारियां सामने रखीं। सम्मेलन में उन्होंने एक सत्र की अध्यक्षता करने के साथ ही कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड पर अपना शोध भी प्रस्तुत किया।
गर्भावस्था में क्षय रोग की चिकित्सा
गर्भावस्था में टीबी का इलाज न किए जाने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। यह गर्भवती महिला के लिए खतरनाक हो सकता है और साथ ही अजन्मे बच्चे में कोई बड़ी असामान्यता की वजह भी बन सकता है। कई बार गर्भावस्था और टीबी की दवाओं के बीच भी असमंजस होती है। ऐसे में चिकित्सक की राय अहम रोल अदा करती है।
डॉक्टर नरेंद्र मल्होत्रा का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान क्षय रोग उन महिलाओं में खास तौर पर होने की आशंका रहती है, जो बहुत कमजोर होती हैं और जिनका इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्षय रोग गर्भावस्था में क्या प्रभाव डालता है। इसमें ली जाने वाली दवाएं बच्चे पर कोई असर डालती हैं या नहीं डालती हैं। इतना ही नहीं गर्भावस्था में क्षय रोग के खतरे के बारे में जानना भी जरूरी है। गर्भवती महिलाओं को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। अगर उन्हें पता है कि परिवार में किसी को यह रोग है तो बंद कमरे में उसके साथ न रहें न ही पास जाकर अधिक बातें करें। दूसरा गर्भवती महिला को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए।
गर्भावस्था में नहीं चलता क्षय रोग का पता
गर्भावस्था के दौरान कई बार पता ही नहीं चलता कि यह लक्षण क्षय रोग के हैं या गर्भावस्था के। जैसे कि गर्भावस्था के दौरान सांस लेने में दिक्कत होना, थकान महसूस होना, ये लक्षण टीबी के भी हो सकते हैं और गर्भावस्था के भी, पर एक लक्षण है जो दोनों में एक सा नहीं है वह है खांसी, जो सिर्फ क्षय रोगी में पाई जाती है। अगर गर्भवती महिला को दो सप्ताह से अधिक खांसी है तो उसको नजरअंदाज न करें। एक और लक्षण से भी इसका पता लगाया जा सकता है। जैसे गर्भावस्था में महिला का वजन बढता है जबकि अगर साथ में क्षय रोग है तो वजन नहीं बढ़ता।

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