गर्भावस्था में टीबी का इलाज न किए जाने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। यह गर्भवती महिला के लिए खतरनाक हो सकता है और साथ ही अजन्मे बच्चे में कोई बड़ी असामान्यता की वजह भी बन सकता है। कई बार गर्भावस्था और टीबी की दवाओं के बीच भी असमंजस होती है। ऐसे में चिकित्सक की राय अहम रोल अदा करती है।
गर्भावस्था के दौरान कई बार पता ही नहीं चलता कि यह लक्षण क्षय रोग के हैं या गर्भावस्था के। जैसे कि गर्भावस्था के दौरान सांस लेने में दिक्कत होना, थकान महसूस होना, ये लक्षण टीबी के भी हो सकते हैं और गर्भावस्था के भी, पर एक लक्षण है जो दोनों में एक सा नहीं है वह है खांसी, जो सिर्फ क्षय रोगी में पाई जाती है। अगर गर्भवती महिला को दो सप्ताह से अधिक खांसी है तो उसको नजरअंदाज न करें। एक और लक्षण से भी इसका पता लगाया जा सकता है। जैसे गर्भावस्था में महिला का वजन बढता है जबकि अगर साथ में क्षय रोग है तो वजन नहीं बढ़ता।