निर्मेश राघव ने कहा कि शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूज्यनीय रहा है। कोई उसे ‘गुरु’ कहता है, कोई ‘शिक्षक’ कहता है, कोई ‘आचार्य’ कहता है, तो कोई ‘अध्यापक’ या ‘टीचर’ कहता है। ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं, जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है और जिसका योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करना है। सही मायनों में कहा जाए तो एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है और शिक्षक ही समाज की आधारशिला है। एक शिक्षक अपने जीवन के अंत तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता रहता है, तभी शिक्षक को समाज में उच्च दर्जा दिया जाता है। आज के विद्यार्थियों के जीवन की शैली में जो परिवर्तन आया है वह सबसे अधिक संस्कारों का है। आज का विद्यार्थी मेधावी, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बहुत अधिक रुचि रखता है लेकिन सुसंस्कारित नहीं है। अच्छे संस्कारों की कमी के कारण उठना, बैठना, बोलना, बड़ों का आदर सत्कार, माता-पिता, गुरुजनों के सम्मान में रुचि नहीं रखता। इन सबका कारण माता-पिता के समय अभाव एवं संयुक्त परिवार का कम होना है।
हर मोड़ पर राह दिखाता गुरु
निर्मेश राघव ने बताया कि प्रत्येक माता पिता यह उम्मीद करते है कि उनका बच्चा बेहतर शिक्षा ग्रहण करे, अच्छे संस्कार स्कूल में शिक्षक भी सिखाएं।इसलिए भी एक शिक्षक की जिम्मेदारी और भी ज्यादा हो जाती है! इसलिये ही शिक्षक को समाज का शिल्पकार कहा जाता है। गुरु या शिक्षक का संबंध केवल विद्यार्थी को शिक्षा देने से ही नहीं होता बल्कि वह अपने विद्यार्थी को हर मोड़ पर उसको राह दिखाता है और उसका हाथ थामने के लिए हमेशा तैयार रहता है। विद्यार्थी के मन में उमड़े हर सवाल का जवाब देता है और विद्यार्थी को सही सुझाव देता है और जीवन में आगे बढ़ने के लिए सदा प्रेरित करता है। ट्रेनर निर्मेश राघव ने बताया की कैस लर्निंग व् डेवलपमेंट की इस मुहीम को उत्तर प्रदेश के समस्त विधालयो में कराया जायेगा। सभी शिक्षकों ने शपथ लेने के बाद उसको क्रियान्वित करने का संकल्प भी लिया। फीडबैक सेशन में शिक्षकों ने बताया की उनके जीवन में इस कार्यशाला का बहुत प्रभाव पड़ा है जिसके लिए उन्होंने विधालय की डायरेक्टर श्रीमती गीतिका अग्रवाल का धन्यवाद किया। इस अवसर पर कुलदीप, रश्मि दुबे, शिप्रा गुप्ता, सुधा, सोनिया, सर्वेश,अंजलि,सचिन, कुलदीप, श्याम, मीनू,अंजना माहेश्वरी,अर्चना व् राखी अग्रवाल मुख्य रूप से उपस्थित रहे।