यूपी के शहरियों में कब आएगा ट्रैफिक सेंस?
उत्तर प्रदेश के लोग हरियाणा की सीमा में घुसते ही सीट बेल्ट लगा लेते हैं। ऐसा क्या हो गया कि कि उत्तर प्रदेश में हैं तो सीट बेल्ट नहीं बांधेंगे और हरियाणा या दिल्ली में हैं तो सीट बेल्ट बांधेंगे।
टिप्पणी / डॉ. भानु प्रताप सिंह
आज उत्तर प्रदेश का तकरीबन हर शहर यातायात की समस्या से जूझ रहा है। बड़े शहरों में तो रोजाना यातायात जाम होता है। क्या यह जाम सिर्फ ट्रैफिक पुलिस की कमी के कारण है? नहीं। जाम का मुख्य कारण हममें ट्रैफिक सेंस का न होना भी है। अब आप कहेंगे कि ट्रैफिक सेंस क्या है तो यातायात नियमों का अनुपालन ही ट्रैफिक सेंस है।
आप किसी वाहन के पीछे हैं। आगे वाले वाहन से कुछ दूरी बनाकर चल रहे हैं। आपके पीछे वाला तुरंत ओवरटेक करेगा और आगे आ जाएगा। कुछ देर बाद आपके पीछे चल रहा दूसरा वाहन भी ओवरटेक करके आगे आ जाता है। एक वाहन से दूसरे वाहन के बीच दूरी बनाकर न चलना ट्रैफिक सेंस का न होना है। आपमें ट्रैफिक सेंस है। इसलिए आप चौराहे पर स्टॉप लाइन से पहले ही वाहन रोक लेते हैं। अगर चौराहे पर यातायात पुलिस का सिपाही नहीं है तो पीछे आ रहे वाहन हॉर्न बजाकर आपके कान पका देंगे। हॉर्न के माध्यम से वे यह कहते हैं कि आगे चलो, चौराहे पर सिपाही नहीं तो डरना किस बात का? यह ट्रैफिक सेंस न होने का परिणाम है।
ताजमहल के शहर आगरा में सबसे बड़ा चौराहा एमजी रोड पर हरीपर्वत है। चौराहे पर सिपाही होता है, फिर भी यातायात नियमों का पालन नहीं होता है। अगर चौराहे पर सिपाही नहीं है तो हरीपर्वत चौराह पर जाम लगना ही है। बत्ती भले ही लाल है, लेकिन रुकते नहीं हैं। यह भी ट्रैफिक सेंस न होने का परिणाम है।
उत्तर प्रदेश के लोग हरियाणा की सीमा में घुसते ही सीट बेल्ट लगा लेते हैं। ऐसा क्या हो गया कि कि उत्तर प्रदेश में हैं तो सीट बेल्ट नहीं बांधेंगे और हरियाणा या दिल्ली में हैं तो सीट बेल्ट बांधेंगे। उत्तर प्रदेश में हैं तो हेलमेट नहीं लगाएंगे। हरियाणा या दिल्ली में हैं तो हेलमेट के बिना घर से नहीं निकलेंगे। हरियाणा और दिल्ली में पुलिस का डर है। अगर पकड़े गए तो चालान होना ही है। उत्तर प्रदेश में पकड़े गए तो नेताजी से फोन कराकर छूट जाएंगे। हरियाणा या दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के बिना कार पकड़ी गई तो 2000 रुपये का जुर्माना है। यूपी में कोई देखता नहीं है। आगरा में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने ट्रैफिक सेंस विकसित करने के लिए वाहनों के चालान का अभियान शुरू किया है। चौराहों पर कैमरा लेकर सिपाही फोटो खींच रहे हैं। आशा है कि चालान होंगे तो लोगों में ट्रैफिक सेंस आएगा। यातायात नियमों का पालन कीजिए, सुरक्षित रहिए, सुरक्षित पहुंचिए। चालान के डर से नहीं, जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यातायात नियमों का पालन कीजिए।
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