scriptShravan Month 2019: सुखी दांपत्य जीवन व संतान प्राप्ति के लिए सावन के मंगलवार को करें मंगला गौरी का व्रत, जानिए व्रत व पूजन विधि… | tuesday vrat of ma mangala gauri in shravan month for marital life | Patrika News
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Shravan Month 2019: सुखी दांपत्य जीवन व संतान प्राप्ति के लिए सावन के मंगलवार को करें मंगला गौरी का व्रत, जानिए व्रत व पूजन विधि…

सावन के मंगलवार व्रत का भी उतना ही महत्व है जितना सावन के सोमवार का।

आगराJul 22, 2019 / 10:43 am

suchita mishra

आगरा। श्रावण मास (Shravan Month 2019) में सोमवार के व्रत को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। आज सावन (Sawan 2019) का पहला सोमवार है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि जितनी महत्ता सावन सोमवार व्रत (Sawan Somwar Vrat) की है, उतनी ही मंगलवार व्रत (Tuesday Vrat) की भी है। सावन के मंगलवार को माता मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) रखा जाता है। सुखी दांपत्य जीवन और अनुकूल विवाह के लिए ये व्रत बेहद प्रभावशाली है। इस व्रत को रखने वाले से माता पार्वती और भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और मनचाहा फल देते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से जानते हैं इस व्रत से जुड़ी तमाम अहम बातें।
भविष्य पुराण में भी है उल्लेख
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के मुताबिक इस व्रत का उल्लेख भविष्य पुराण में भी किया गया है। गवान शिव और मां पार्वती की कृपा पाने के लिए इस व्रत को सावन के मंगलवार को किया जाता है। इसे शुरू करने के बाद कम से कम पांच वर्षों तक श्रावण माह (Shravan Month) में इस व्रत को रखना चाहिए।
Mangala garuri vrat
शादीशुदा महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए रखें व्रत
जिन महिलाओं की शादी के लंबे समय बाद भी संतान न हो सकी हो, वे अगर पांच सालों तक मंगला गौरी व्रत करें तो उनकी कामना पूरी होती है। शादी के बाद कोई भी महिला इस व्रत को पहली बार अपने मायके में करे। बाकी चार सावन अपने ससुराल में करें।
ये है व्रत विधि
श्रावण के महीने में पहले मंगलवार के दिन इस व्रत की शुरुआत करें। कल सावन का पहला मंगलवार है। सुबह स्नानादि करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद चौकी पर एक सफेद और एक लाल कपड़ा बिछाएं और माता पार्वती की प्रतिमा रखें। फिर आटे का एक बड़ा दीपक बनाएं और दीपक में 16 बत्तियों को एक साथ डालकर प्रज्ज्वलित करें। भगवान गणेश के पूजन से पूजा की शुरुआत करें। गणपति को पंचामृत, जनेउ, चंदन, रोली, सिंदूर, सुपारी, लौंग, पान, चावल, फूल, बिल्ब पत्र, इलायची, फल, मेवा, प्रसाद चढ़ाएं, फिर कलश की पूजा करें। चावल के नौ ढेर बनाकर उन्हें नवग्रह मानकर पूजा करें। बाद नवग्रहों के नाम की चावल की नौ ढ़ेरियां बनाकर उनकी भी पूजा करें। षोडश मातृका की 16 गेंहू की ढे़रियां बनाकर उनकी पूजा कर रोली व जनेउ हल्दी, मेहंदी और सिन्दूर चढ़ाएं। इसके बाद माता मंगला गौरी की की पूजा करें।
मंगला गौरी पूजन व व्रत विधि
माता मंगला गौरी के पूजन के लिए एक थाली में चकला रखें। उस पर मंगला गौरी की मिट्टी की प्रतिमा बनाएं और आटे की लोई बनाकर रख लें। इसके बाद मां मंगला गौरी को पंचामृत (गंगाजल, दूध, दही, चीनी और घी) से स्नान कराएं। इसके बाद सुंदर से वस्त्र पहनाएं। फिर नथ पहनाकर रोली, चन्दन, हल्दी, सिन्दूर, मेंहदी, काजल लगाकर श्रंगार करें। इसके बाद मां को 16 प्रकार के फूल, 16 माला, 16 तरह के पत्ते, 16 आटे के लड्डू, 16 फल, पांच तरह की मेवा, 16 बार सात तरह का अनाज, 16 जीरा, 16 धनिया, 16 पान, 16 सुपारी, 16 लौंग, 16 इलाइची, एक सुहाग की डिब्बी में रोली, मेहन्दी, काजल, सिन्दूर, तेल, कंघा, 16 चूड़ी, व दक्षिणा चढ़ाएं फिर मां मंगला गौरी की कथा कहें या सुनें। व्रत वाले दिन नमक न खाएं और न ही शाम को अनाज खाकर व्रत खोलें। दूसरे दिन मंगला गौरी को समीप के कुएं, नदी या तालाब में विसर्जित करने के बाद भोजन करें।

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