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जजियाकर समाप्त किया माना जाता है कि अकबर का धार्मिक दृष्टिकोण उदार था। 1653 ईसवी में अकबर मथुरा व वृंदावन गया था। वहीं हिन्दुओं ने जानकारी दी कि तीर्थयात्रा करने पर उन्हें कर देना पड़ता था। इस पर अकबर को आश्चर्य हुआ। उसने 1654 में जजिया कर (सिर्फ हिन्दुओं पर लगने वाला कर) समाप्त कर दिया था। अकबर के समय में ही राजा मान सिंह ने मथुरा में गोविन्द जी का भव्य मंदिर बनवाया था। एक मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह की पुत्री ने भी कराया था।
जजियाकर समाप्त किया माना जाता है कि अकबर का धार्मिक दृष्टिकोण उदार था। 1653 ईसवी में अकबर मथुरा व वृंदावन गया था। वहीं हिन्दुओं ने जानकारी दी कि तीर्थयात्रा करने पर उन्हें कर देना पड़ता था। इस पर अकबर को आश्चर्य हुआ। उसने 1654 में जजिया कर (सिर्फ हिन्दुओं पर लगने वाला कर) समाप्त कर दिया था। अकबर के समय में ही राजा मान सिंह ने मथुरा में गोविन्द जी का भव्य मंदिर बनवाया था। एक मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह की पुत्री ने भी कराया था।
यह भी पढ़ें सोने का भाव जानकर आपका माथा घूम जाएगा जैनमुनि के प्रभाव से शिकार बंद किया इतिहासकार राज किशोर राजे ने तवारीख-ए-आगरा पुस्तक में उल्लेख किया है कि जैन मुनि हीर विजय सूरी के प्रभाव में अकबर ने शिकार खेलना बंद कर दिया था। निषेध दिनों में पशुओं के वध पर भी प्रतिबंध लगाया था।
यह भी पढ़ें जानिए क्या होता है पुरुषोत्तम मास दीन-ए-इलाही और अल्लोपनिषद सन 1575 में अकबर ने धार्मिक विचार-विमर्श के लिए फतेहपुर सीकरी में इबादत खाना का निर्माण कराया था। इतिहासकार अब्दुल कादिर बदायूंनी ने लिखा है- एक रात उलेमाओं की गर्दनों की नशें तन गई थीं और भयंकर कोलाहाल होने लगा। इस तरह की घटनाओं से आहत अकबर ने दीन-ए-इलाही धर्म की नींव डाली। अकबर ने अल्लोपनिषद की रचना कराई।
यह भी पढ़ें थाली में क्योें नहीं परोसी जातीं तीन रोटियां ईसाइयों का प्रभाव अकबर के बुलावे पर 19 फरवरी, 1580 को ईसाइयों का एक दल गोवा से आगरा आया। यह दल अप्रैल, 1582 तक आगरा में रहा। तब यह चर्चा होने लगी थी कि अकबर ईसाई धर्म स्वीकार करने जा रहा है। इतिहासकार बीए स्मिथ और वूल्जले हेग के अनुसार, अकबर पर अन्य धर्मों की अपेक्षा ईसाई धर्म का प्रभाव अधिक था। अकबर ने ईसाइयों को अपने धर्म के प्रचार के लिए स्थाना दिया। चर्च बनवाया। इस चर्च को अकबरी चर्च कहा जाता है।
यह भी पढ़ें राधास्वामी मत के गुरु दादाजी महाराज के महिलाओं के बारे में विचार सुनकर चौंक जाएंगे सोरों से जाता था गंगाजल इतिहासकार राजकिशोर राजे ने बताया- धार्मिक दृष्टिकोण में परिवर्तन के बाद अकबर गंगाजल का सेवन करने लगा था। इसे वह धार्मिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर मानता था। अकबर के लिए सोरों से सीलबंद सुराहियों में गंगाजल लाया जाता था। अब्दुल कादिर बदायूंनी ने अपनवी पुस्तक मंतखतुब-तवारीख में भी इसका उल्लेख किया है।