जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि अगर इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती है तो टीईटी पास शिक्षा मित्रों को भी सहायक अध्यापक बनने के लिए लिखित परीक्षा देनी होगी। उन्होंने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद 1 से 8वीं कक्षा तक के टीचरों की भर्ती के लिए अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य कर दी गई है। साथ ही प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में प्राइमरी टीचरों की भर्ती के लिए छात्र के पास ग्रेजुएशन और बीटीसी की डिग्री होना जरूरी है। वहीं अभी तक बेसिक शिक्षकों की भर्ती शैक्षिक गुणांक के आधार पर होती रही है। शैक्षिक गुणांक छात्र के हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और स्नातक के अलावा बीटीसी ट्रेनिंग में मिले अंकों के आधार पर तैयार किया जाता है।
जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि यूपी सरकार ने समायोजित शिक्षा मित्रों को उनके मूल पद पर वापस करने का एलान किया था। वहीं शिक्षा मित्रों को शिक्षक भर्ती में अधिकतम 25 अंक तक वेटेज देने पर सहमति जतायी है। इसके लिए उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव पांच सितंबर को हुई योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में पेश किया गया था। इसी बैठक में कैबिनेट ने शिक्षा मित्रों के मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव को तो मंजूरी दे दी थी, लेकिन नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव स्थगित कर दिया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि शिक्षक भर्ती के लिए नियमावली में लिखित परीक्षा का प्रावधान जोड़ने के लिए ही इस प्रस्ताव स्थगित किया गया था। जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र छौंकर ने बताया कि लिखित परीक्षा का नियम लागू होने से शिक्षामित्रों के आगे एक और बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी। शिक्षामित्र पढ़ाने की उम्र में अब कैसे पढ़ाई कर पाएंगे।