जिला एपीडेमियोलॉजिस्ट डॉ. प्रियंका चौहान के नेतृत्व में डॉ. आरके अग्निहोत्री को रेपिड रिस्पांस टीम का प्रभारी बनाया गया है। कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों को इसी आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया जाएगा व उनकी जांचें व इलाज किया जाएगा। इसके लिए स्वाइन फ्लू वाली प्रोटेक्शन किट का चिकित्सक इस्तेमाल होगा। हालांकि इस मामले में सीएमओ डॉ. मुकेश वत्स का कहना है फिलहाल देश में कोरोना वायरस से पीड़ित किसी मरीज के पाए जाने की पुष्टि नहीं हुई है। मुंबई में जो दो संदिग्ध पाए गए थे, उनकी रिपोर्ट भी नेगेटिव ही आयी है। लेकिन फिर भी अस्पताल में एहतियातन इससे निपटने की तैयारी कर ली गई है।
दरअसल कोरोना तमाम वायरस का एक समूह है जो आमतौर पर जानवरों में पाया जाता है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीएस) के अनुसार ये वायरस जानवरों से मनुष्यों तक पहुंच जाता है। कोरोना एक RNA वायरस है, जो शरीर के अंदर कोशिकाओं में टूट जाता है और उनका उपयोग खुद को पुन: उत्पन्न करने के लिए करता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, ये वाइरस सी-फूड खाने से फैला था।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मरीज के Corona Virus से संक्रमित होने के कम से कम 14 दिनों बाद इसके लक्षण सामने आते हैं। लक्षण बेहद सामान्य हैं जैसे— जुखाम, खांसी, गले में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, निमोनिया, बुखार आदि।
कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है। यहां तक कि एंटीबायोटिक दवाएं भी इस परेशानी में काम नहीं करतीं। सिर्फ सावधानी ही इसका बचाव है। इसलिए किसी बीमार, जुकाम, निमोनिया से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आने से परहेज करें। मास्क का प्रयोग करें। अपनी आंखों, नाक और मुंह को न छुएं।