पूर्ण बजट को आम बजट के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि भारत के संविधान में बजट शब्द का जिक्र नहीं है, इसकी जगह संविधान के आर्टिकल 112 में बजट को ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ कहा गया है। लेकिन सामान्य भाषा में लोग इसे आम बजट कहते हैं। आम बजट में सरकार वित्त वर्ष का लेखा-जोखा पेश करती है। सरकार संसद को ये बताती है कि आने वाले वित्त वर्ष में वो किस काम के लिए कितना पैसा खर्च करेगी। इस बजट में एक वित्त वर्ष के लिए अनुमानित प्राप्तियों और खर्चों का विस्तृत ब्योरा पेश किया जाता है।
भारत में जिस भी साल लोकसभा चुनाव होता है, उस साल सरकार पूर्ण बजट के बजाय अंतरिम बजट पेश करती हैं। यह अंतरिम बजट चुनावी वर्ष में नई सरकार के गठन तक खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता होती है। इस बजट में ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जाता है, जो नीतिगत फैसला या प्रावधान नहीं करती जिसे पूरा करने के लिए संसद की मंजूरी लेनी पड़े या फिर कानून में बदलाव की जरूरत हो। इस बजट में डायरेक्ट टैक्स में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाता, हालांकि सरकारें इंपोर्ट, एक्साइज या सर्विस टैक्स में राहत दे देती हैं। आम तौर पर हर सरकार की अपनी राजकोषीय योजनाएं होती हैं और वह उसी के मुताबिक धन का आवंटन करती हैं।