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योगी जी कम से कम इन्हें चलने का सहारा ही दे दीजिए, इन्हें आपके संदेश का है इंतजार

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर विशेष : वर्षों से नहीं ली किसी ने सुधि, बच्चे हैं परेशान

आगराDec 03, 2017 / 03:42 pm

Santosh Pandey

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आगरा। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने विकलांग को दिव्यांग का नाम दिया। दिव्यांगों के लिए कई सारी योजनाएं भी शुरू की गई। अब जब उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है तो दिव्यांगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है। आगरा के रुनकता में नेत्रहीन विद्वालय स्थित है। जिसमें 60 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। यह संस्थान वर्ष 1976 से चल रहा है। यहां पढ़ने वाले बच्चे परेशानियों का सामना वर्षों से करते रहे हैं। बच्चों के पास अगर व्हाइट केन अर्थात सफेद छड़ी हो तो उन्हें अपनी दिनचर्या में किसी बाधा का सामना नहीं करना पड़े। अब तो दौर बदल रहा है। स्मार्ट व्हाइट केन भी प्रचलन में आ चुकी है लेकिन रुनकता के इन बच्चों के पास किसी प्रकार की छड़ी नहीं है। स्कूल के प्रधानाचार्य महेश कुमार ने बताया कि एक दो बच्चों के पास व्हाइट केन है। अगर सभी बच्चों को मिल जाए तो बड़ा ही फायदेमंद रहेगा। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर खेेलकूद कार्यक्रम आयोजित किया गया। रस्सीकूद, कबड्डी, गोलाफेंक आदि खेल हुए। सरकारी के लिए
योगी गए थे विद्यालय में

अक्टूबर में आगरा दौरे पर आए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रुनकता में नेत्रहीन विद्वालय गए थे। जहां पर उन्होंने पांच मिनट बच्चों के साथ समय बिताया था। बच्चे भी सीएम से मिलकर खुश हुए थे। सूरकुटी में मौजूद बच्चों ने सीएम को सूरदास का भजन ऊधौ मोहि ब्रज बिसरत नाहीं सुनाया।
यह की गई थी मांग

नेत्रहीन विद्वालय के प्रधानाचार्य महेश कुमार ने बताया हम लोगों की बहुत पुरानी और जरूरी मांग है कि विद्वालय को बारहवीं तक किया जाए। बच्चों को स्कूल के बाद पढ़ाई करने में कठिनाई होती है। उन्होंने बताया कि करीब 60 बच्चों ने सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा। सीएम ने बच्चों को सकारात्मक आश्वासन भी दिया है।
यह है सफेद छड़ी

सफेद छड़ी एल्युमिनियम और फाइबर से बनाई जाती है। सुनने एवं देखने में असक्षम लोगों की छड़ी ऊपर से हरे एवं नीचे से लाल रंग की होती है। भीड़ या सड़क पर सफेद छड़ी सामने की तरफ दिखाने का मतलब है कि वह व्यक्ति मुसीबत में है और उसे मदद की जरूरत है। सामान्य सफेद छड़ी 100 से 200 रूपए तथा स्मार्ट सफेद छड़ी तीन हजार रूपए तक मिलती है। केन्द्र सरकार की योजनाओं के तहत यह नि:शुल्क भी बांटी जाती हैं। जानकारी के अनुसार सफेद छड़ी छह प्रकार की होती हैं।
गाइड छड़ी

दृष्टि बाधित को कार्यक्रम में चलने में मदद करती है। यह छोटे आकार की होती है। पहचान छड़ी दूसरों को सचेत करने में काम ली जाती है। यह छोटी और हल्की होती है। समर्थन छड़ी यह उपयोग करनेवाली की पहचान बताती है। किडी छड़ी दृष्टिबाधित बच्चों के उपयोग के लिए होती है और ग्रीन छड़ी अल्पदृष्टिबाधित लोगों के लिए होती है। डॉ. रिचर्ड हूवर ने 1928 में सफेद छड़ी डिजाइनकी थी। जागरूकता के लिए पहली बार 15 अक्टूबर, 1931 को श्वेत छड़ी दिवस मनाया गया था। इसके बाद 6 अक्टूबर 1964 को यूएनओ में प्रस्ताव को पारित करके 15 अक्टूबर को सफेद छड़ी सुरक्षा दिवस मनाया जाता है।

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