ये बोले अरशद
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. बीआर अम्बेडकर विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अरशद ने कहा कि वर्तमान दौर में बेघर लोग अपने अधिकारों एवं बुनियादी सेवाओं से वंचित हैं, जिसके कारण बेघरों के हालात बेहद गंभीर और चिंताजनक हैं। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों, बीमारों, विकलांगों एवं महिलाओं की दशा -दिशा अत्यधिक जोखिमपूर्ण और दयनीय है। बेघरी के कारणों का उल्लेख करते हुए डॉ. अरशद ने कहा कि गरीबी और आर्थिक असमानता ही वह प्रमुख कारण है, जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों से शहर की तरफ पलायन हो रहा है। फलतः बेघरी का दायरा बढ़ता जा रहा है। सरकारों को बेघरों के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों को सुधारना चाहिए।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. बीआर अम्बेडकर विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अरशद ने कहा कि वर्तमान दौर में बेघर लोग अपने अधिकारों एवं बुनियादी सेवाओं से वंचित हैं, जिसके कारण बेघरों के हालात बेहद गंभीर और चिंताजनक हैं। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों, बीमारों, विकलांगों एवं महिलाओं की दशा -दिशा अत्यधिक जोखिमपूर्ण और दयनीय है। बेघरी के कारणों का उल्लेख करते हुए डॉ. अरशद ने कहा कि गरीबी और आर्थिक असमानता ही वह प्रमुख कारण है, जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों से शहर की तरफ पलायन हो रहा है। फलतः बेघरी का दायरा बढ़ता जा रहा है। सरकारों को बेघरों के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों को सुधारना चाहिए।
सरकारी प्रयास नाकाफी
एफपीएआई, आगरा की प्रतिनिधि डॉ. सगुना शर्मा ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि बेघरी और विस्थापन के मुद्दे से निपटने के लिए राज्य व केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास नाकाफी हैं। सामुदायिक विकास मंच की पिंकी ने कहा कि बेघर महिलाओं की स्थिति अधिक भयावह और चिंताजनक है, क्योंकि उन्हें खुले में और आश्रयों में सोते समय भी मानसिक, शारीरिक और यौन हिंसा के विभिन्न स्तरों से गुजरना पड़ता है।
एफपीएआई, आगरा की प्रतिनिधि डॉ. सगुना शर्मा ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि बेघरी और विस्थापन के मुद्दे से निपटने के लिए राज्य व केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास नाकाफी हैं। सामुदायिक विकास मंच की पिंकी ने कहा कि बेघर महिलाओं की स्थिति अधिक भयावह और चिंताजनक है, क्योंकि उन्हें खुले में और आश्रयों में सोते समय भी मानसिक, शारीरिक और यौन हिंसा के विभिन्न स्तरों से गुजरना पड़ता है।
संगोष्ठी में रहे ये मौजूद
संगोष्ठी में विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों में कमल सिंह, पूनम, सुनीता, मो . शाकिर, दर्शनी दुबे, नरेश पारस, सुनीत गोस्वामी, जूली टांकरा एवं देवचरण सिंह आदि ने बेघरों का समर्थन करते हुए अपने अपने विचार व्यक्त किये और बेघरों के अधिकारों हेतु अपनी एकजुटता प्रकट की। कार्यक्रम का संचालन जय प्रकाश त्रिवेदी ने किया और समस्त सहभागियों के प्रति रीना कुमारी ने हार्दिक धन्यवाद व आभार ज्ञापित किया।
संगोष्ठी में विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों में कमल सिंह, पूनम, सुनीता, मो . शाकिर, दर्शनी दुबे, नरेश पारस, सुनीत गोस्वामी, जूली टांकरा एवं देवचरण सिंह आदि ने बेघरों का समर्थन करते हुए अपने अपने विचार व्यक्त किये और बेघरों के अधिकारों हेतु अपनी एकजुटता प्रकट की। कार्यक्रम का संचालन जय प्रकाश त्रिवेदी ने किया और समस्त सहभागियों के प्रति रीना कुमारी ने हार्दिक धन्यवाद व आभार ज्ञापित किया।