कोरोना से लडऩे के लिए की दृढ़ मनोबल से मेहनत डॉ. राठोड़ का कहना है कि चंदुबा की इच्छाशक्ति मजबूत थी। उनके फेफड़ों से कोरोना का संक्रमण दूर करने के लिए स्टाफ ने जितनी मेहनत की, उससे अधिक तो चंदुबा ने कोरोना से दृढ़ मनोबल से लडऩे के लिए मेहनत की। 11 दिन के उपचार के बाद चंदुबा ने कोरोना को मात दे दी।
चिकित्सकों ने जान लगाकर किया उपचार पुत्र गजेन्द्रसिंह जाड़ेजा के अनुसार फिलहाल चंदुबा की हालत स्थिर है, नियमित दिनचर्चा के अनुरूप काम कर रहीं हैं। सरकार व स्वास्थ्य विभाग का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सकों ने जान लगाकर उपचार किया, परिणामस्वरूप उनका परिवार टूटने से बच गया। अस्पताल में डॉ. राठोड के अलावा फिजिशियन डॉ. सुधीर साकरिया व स्टाफ की ओर से किए गए उपचार के कारण चंदुबा कोरोना को मात देकर घर पहुंची।