script549 लीटर दूध 1578 शिशुओं के लिए बना जीवनशक्ति का स्त्रोत | 549 liters of milk 1578 The source of vitality for babies | Patrika News
अहमदाबाद

549 लीटर दूध 1578 शिशुओं के लिए बना जीवनशक्ति का स्त्रोत

नवजात शिशु के लिए अमृत है स्तनपान, रक्तदान के समान ही अमूल्य है मां के दूध का दान
4815 धात्री माताओं ने किया दान
वडोदरा के सयाजी अस्पताल में मातृ दूध बैंक शिशु सेवा के दो वर्ष पूरे
 

अहमदाबादOct 15, 2021 / 10:48 pm

Rajesh Bhatnagar

549 लीटर दूध 1578 शिशुओं के लिए बना जीवनशक्ति का स्त्रोत

549 लीटर दूध 1578 शिशुओं के लिए बना जीवनशक्ति का स्त्रोत

वड़ोदरा. 4815 धात्री माताओं की ओर से रक्तदान के समान ही अमूल्य माने जाने वाले मां के 549 लीटर दूध का दान 1578 शिशुओं के लिए जीवनशक्ति का स्त्रोत बना है। वडोदरा के सयाजी अस्पताल के रुक्मणि चेनानी प्रसूति गृह की तीसरी मंजिल पर 2019 में ममतामयी मां के उत्सव नवरात्र में 14 अक्टूबर को स्थापित किए गए मातृ दूध बैंक शिशु सेवा के दो वर्ष पूरे हुए हैं।
अस्पताल के प्रसूति वार्ड में राज्य सरकार की मदद से नवजात शिशुओं के स्तन दूध के पहले अधिकार की रक्षा के लिए मातृ दूध बैंक शिशु सेवा शुरू की गई थी। राज्य सरकार की ओर से अनुदान के अलावा दूध को जंतुरहित व शुद्ध करने के लिए पेश्चुराइजर उपकरण, माता के दूध के दोहन के लिए आवश्यक स्तन दूध पंप, संग्रहण व सुरक्षित रखने के लिए उपयोगी फ्रीजर, डीप फ्रीजर आदि की सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ ही कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया।
मां की सर्जरी हुई हो या अन्य जटिलताओं के कारण आईसीयू में मां का इलाज जारी हो और स्वस्थ बच्चा वार्ड में हो और बच्चा समय से पहल जन्मा हो, जन्म के समय बच्चे का बहुत कम वजन हो और स्तनपान करने की स्थिति में नहीं हो, मां के स्तन से दूध आता हो लेकिन वह नवजात शिशु को स्तनपान कराने की स्थिति में नहीं हो तो प्रशिक्षित कर्मचारी स्तन दूध पंप से दूध प्राप्त कर पेश्चुरीकृत कर 5304 नवजात शिशुओं को उनकी ही मां का दूध सुलभ करवाया गया।
अस्पताल के शिशु रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. शीला अय्यर के अनुसार सयाजी अस्पताल का यह दूध सेवा संस्थान देश में स्तन दूध बैंकिंग के अग्रणी संस्थानों में से एक है। यह सिर्फ दूध बैंक नहीं, बल्कि स्तनपान प्रबंधन संगठन है। उनके अनुसार संस्थान में बच्चे को दूध पिलाने के तरीके और स्तनपान कराने के बारे में मां को सिखाया जाता है। संस्थान का पहला प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि हर बच्चे को एक जैसा दूध मिले। इसीलिए माताओं को स्तनपान आसान बनाने में मदद की जाती है।
दूध दान करने से शरीर को कोई नुकसान नहीं

डॉ. अय्यर के अनुसार कभी-कभी एक मां के स्तन से इतना कम दूध आता है कि वह अपने बच्चे की भूख को भी संतुष्ट नहीं कर सकती है। कई माताओं के स्तन से इतना दूध आता है कि बच्चा संतुष्ट हो जाता है और अपने बच्चे को पर्याप्त दूध देने के बाद माताएं अतिरिक्त दूध उन बच्चों को दान कर सकती हैं जो किसी भी कारण से स्तन के दूध से वंचित हैं।
शिशुओं को सुरक्षित दूध उपलब्ध कराने की पहल
मां की एचआईवी या कोई अन्य खतरनाक बीमारी की जांच के बाद ही स्तन से दूध स्वीकार किया जाता है। जब कोई नवजात या छोटा बड़ा बच्चा लावारिस पाया जाता है तो उसे एक या दो सप्ताह के लिए सयाजी अस्पताल में रखा जाता है। यह संस्था उन शिशुओं को भी मां का दूध उपलब्ध कराती है जिनकी मां की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई है।
स्तनपान कराने वाली कोई भी स्वस्थ मां करे दूध का दान

डॉ. अय्यर के अनुसार एक मां ने प्रसव के लिए सयाजी अस्पताल में प्रवेश नहीं किया हो, लेकिन स्तन से भरपूर दूध आने पर मां के दूध से वंचित बच्चे के लिए दूध का दान किया जा सकता है। उनके अनुसार वर्तमान में प्रसूति गृह में पैदा हुए बच्चों और किसी भी कारण से स्तन के दूध से वंचित बच्चों को आपूर्ति करने के लिए ही पर्याप्त दूध है, इसलिए बाहर के बच्चों के लिए दूध उपलब्ध कराना संभव नहीं है।
डॉ. अय्यर का कहना है कि सयाजी अस्पताल में शिशु को जन्म देने वाली मां तो दूध दान कर सकती हैं। साथ ही अन्य अस्पताल में प्रसूति के बाद स्तनपान कराने वाली माताएं भी अपने बच्चे की जरूरत से ज्यादा दूध आने पर वंचित बच्चों के लिए अतिरिक्त दान करने की इच्छा होने पर संस्थान से संपर्क कर सकती हैं और दूध समान अमृत का दान कर सकती हैं।
सयाजी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रंजन कृष्ण अय्यर के अनुसार कोरोनाकाल में अस्पताल में कार्यरत एक महिला नर्सिंग कर्मचारी की प्रसूति के बाद बच्चे की आवश्यकता से अधिक दूध आने पर उसने 9 लीटर दूध जमा करवाया और वह दूध वंचित शिशुओं के लिए जीवनशक्ति का स्त्रोत बना।

Home / Ahmedabad / 549 लीटर दूध 1578 शिशुओं के लिए बना जीवनशक्ति का स्त्रोत

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो