मां की एचआईवी या कोई अन्य खतरनाक बीमारी की जांच के बाद ही स्तन से दूध स्वीकार किया जाता है। जब कोई नवजात या छोटा बड़ा बच्चा लावारिस पाया जाता है तो उसे एक या दो सप्ताह के लिए सयाजी अस्पताल में रखा जाता है। यह संस्था उन शिशुओं को भी मां का दूध उपलब्ध कराती है जिनकी मां की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई है।
डॉ. अय्यर का कहना है कि सयाजी अस्पताल में शिशु को जन्म देने वाली मां तो दूध दान कर सकती हैं। साथ ही अन्य अस्पताल में प्रसूति के बाद स्तनपान कराने वाली माताएं भी अपने बच्चे की जरूरत से ज्यादा दूध आने पर वंचित बच्चों के लिए अतिरिक्त दान करने की इच्छा होने पर संस्थान से संपर्क कर सकती हैं और दूध समान अमृत का दान कर सकती हैं।
सयाजी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रंजन कृष्ण अय्यर के अनुसार कोरोनाकाल में अस्पताल में कार्यरत एक महिला नर्सिंग कर्मचारी की प्रसूति के बाद बच्चे की आवश्यकता से अधिक दूध आने पर उसने 9 लीटर दूध जमा करवाया और वह दूध वंचित शिशुओं के लिए जीवनशक्ति का स्त्रोत बना।