वर्ष २०१६ से शुरू हुए एसवीईपी के तहत बेहतर बदलाव यह दिख रहा है कि गांव के गरीब, पिछड़़े, मध्यमवर्ग के लोगों, महिलाओं में भी यह विश्वास जगा है कि वे भी उद्यम शुरू कर सकते हैं। गुजरात के तीन जिलों-दाहोद के गरबाड़ा, पंचमहाल जिले के घोघंबा और अमरेली जिले के खांभा ब्लॉक के गांवों में अब तक ८४७ व्यक्तिगत उद्यम और एक समूह उद्यम शुरू हुआ है। जिससे लोग आत्मनिर्भर बन रहे हैं। उनकी आजीविका में सुधार हो रहा है। वर्ष २०२०-२१ तक गुजरात के गांवों में ५५ सौ उद्यम शुरू करने का लक्ष्य है।
-राजेश गुप्ता, संयोजक, एसवीईपी, ईडीआईआई
एसवीईपी के जरिए गांव के लोगों को उद्यमिता संबंधी प्रशिक्षण देकर गांव में ही स्वरोजगार का मौका मिल रहा है। गरीबों, पिछड़ों, वंचितों, महिलाओं को इसका लाभ मिल रहा है। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी।
-सुनील शुक्ला, निदेशक, ईडीआईआई
स्वयं सहायता ग्रुप के जरिए कार्यान्वित हो रही एसवीईपी का सर्वाधिक लाभ महिलाओं को पहुंच रहा है, क्योंकि ये ग्रुप महिलाओं के ही बने होते हैं। मदद भी महिलाओं के नाम पर ही पहुंचती है। हालांकि उनके खून के रिश्तेदार भी इसके जरिए अपना उद्यम शुरू कर पैरों पर खड़े हो रहे हैं। सबसे ज्यादा ७२ फीसदी (२२६) महिला उद्यमी एसवीईपी के जरिए गरबाड़ा में उभरी हैं। यहां १६१ पुरुष उद्यमी हैं। घोघंबा में ६४ फीसदी यानि १७३ महिला उद्यमी, 99 पुरुष उद्यमी हैं। खांभा में ५० प्रतिशत (९९) महिलाओं ने उद्यम शुरू किए हैं। ९८ पुरुषों ने उद्यम शुरू किए हैं।
एवीईपी योजना के तहत अब तक गुजरात में बने उद्यमों की सामाजिक श्रेणियों के आधार पर गणना की जाए तो गरबाड़ा में ८७ फीसदी एसटी उद्यमी जबकि घोघंबा में ७० और खांभा में ७२ फीसदी ओबीसी श्रेणी के लोगों ने उद्यम शुरू किए हैं।
गुजरात में सबसे ज्यादा सेवा क्षेत्र और फिर ट्रेडिंग के क्षेत्र में उद्यम गांवों में शुरू हुए हैं। इसमें गरबाड़ा में ५० फीसदी सर्विस, ४९ प्रतिशत ट्रेडिंग के क्षेत्र में , घोघंबा में ४९ प्रतिशत ट्रेडिंग और ४४ फीसदी सर्विस के क्षेत्र में जबकि खांभा में ५० फीसदी सर्विस और ३८ फीसदी ट्रेडिंग के क्षेत्र में उद्यम शुरु हुए हैं। मैन्युफैक्चरिंग में कम उद्यम शुरू हुए हैं।
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