गांधीनगर में बुधवार को मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने उत्तरायण के दौरान पतंग की डोर से घायल होने वाले पक्षियों की जान बचाने के लिए 10 दिनों तक करुणा अभियान में सहयोगी संगठनों और राज्य सरकार के वन तथा पशुपालन सहित अन्य विभागों के कर्मयोगियों के साथ संवाद कर मार्गदर्शन दिया। वन विभाग की ओर से संचालित घायल पशु-पक्षी उपचार केंद्र में पक्षियों के उपचार के साथ वहां उपलब्ध सुविधाओं का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से निरीक्षण भी किया।
चाइनीज डोर पर लगाया प्रतिबंध मुख्यमंत्री ने यह साफ किया कि उत्तरायण में पतंग की डोर से पक्षियों को घायल होने से बचाने के लिए चाइनीज डोर पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके लिए निगरानी की जा रही है और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए प्रशासन को आदेश भी दिए हैं। वन विभाग, पशुपालन विभाग और महानगरपालिका प्रशासन के भी इस अभियान में सक्रियता से जुड़कर पशु-पक्षियों की जान बचाने, घायल पक्षियों के उपचार का जीवदया कार्य करने की उन्होंने सराहना की।
पशु-पक्षियों को बचाने के लिए 1962 हेल्पलाइन गुजरात में मकर संक्रांति पर बेजुबान पक्षी की जान न जाए इसके लिए पशुपालन और वन विभाग की ओर से पक्षियों के प्री-पोस्ट ट्रीटमेंट के लिए आईसीयू, एंबुलेंस, पशु-पक्षियों के उपचार के लिए 1962 हेल्पलाइन शुरू की है।
20 हजार पीपीई किट का नि:शुल्क वितरण वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजीव गुप्ता ने कहा कि इस अभियान से हजारों घायल पक्षियों की जान बचाई गई है। इस अभियान में पशुपालन, वन विभाग और महानगर पालिकाओं सहित लगभग 250 स्वैच्छिक संगठन सहभागी बने हैं। लगभग 20 हजार पीपीई किट का नि:शुल्क वितरण किया गया है। इस वर्ष 421 उपचार केंद्र, 71 मोबाइल वैन, 37 करुणा एनीमल एंबुलेंस तथा 529 पशु चिकित्सकों के अलावा कर्मचारी और स्वयंसेवक सहभागी बने हैं।
इस अवसर पर वन मंत्री गणपत वसावा, पशुपालन मंत्री कुंवरजीभाई बावलिया, पशुपालन राज्य मंत्री बचुभाई खाबड़, वन राज्य मंत्री रमणलाल पाटकर उपस्थित थे। इस अवसर पर पशुपालन विभाग के सचिव नलिन उपाध्याय, वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और हेड ऑफ द फॉरेस्ट फोर्स डॉ. डीके शर्मा, पशुपालन निदेशक फाल्गुनीबेन ठाकर उपस्थित थे।