गिरोह के सदस्य कार्ड स्वाइप करने के बाद पिन नंबर डालते। मशीन जैसे ही प्रोसेस कर रुपए देने को होती इसी दौरान आरोपी पावर सप्लाई बंद कर देते। एटीएम के पीछे के हिस्से से रुपए निकाल लेते और फिर पावर सप्लाई शुरू कर देते। जिसके चलते खाते से रुपए के डेबिट होने की एंट्री ही नहीं होती और मशीन से रुपए भी निकल जाते थे। वहीं दूसरी ओर शातिर आरोपी एटीएम मशीन से रुपए निकालने के दौरान पैसे नहीं मिले होने और कई बार खाते से डेबिट होने की बात कहते हुए शाखा में आवेदन करके रुपए भी पा लेते थे।