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अहमदाबाद

CIvil hospital: चिकित्सकों ने नवजात बालिका को दी नई जिन्दगी

Civil hospital, doctor, child, save life, ICU, new born child, : 430 ग्राम वजनीले नवजात को नया जीवन देने का गुजरात का पहला किस्सा

अहमदाबादDec 11, 2020 / 09:13 pm

Pushpendra Rajput

CIvil hospital: चिकित्सकों ने नवजात बालिका को दी नई जिन्दगी

CIvil hospital: चिकित्सकों ने नवजात बालिका को दी नई जिन्दगी

गांधीनगर. अहमदाबाद सिविल अस्पताल (Civil hospital) के चिकित्सकों (doctor) ने एक बार फिर अपनी कुशलता का परिचय देते हुए 430 ग्राम वजनीली नवजात बालिका (new born child) को नई जिन्दगी बचाई है। गुजरात का ऐसा संभवत: पहला किस्सा होगा, जिसमें 430 ग्राम से भी कम वजनीले नवजात को बचाया जा सका हो। मध्य प्रदेश के इन्दौर से तालुका रखने वाले इस गरीब दम्पती की इस नवजात को मुख्यमंत्री (chief minister) की संवेदनशीलता से जहां ऐसे इलाज पर 10 से 12 लाख रुपए लगते हैं लेकिन अहमदाबाद सिविल अस्पताल में यह इलाज नि:शुल्क किया गया।
कहा गया है कि ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होतीÓ। कुछ ऐसा किया है कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने। दरअसल, मध्यप्रदेश के गरीब दम्पती की 430 ग्राम वजनीली नवजात बालिका को अहमदाबाद सिविल अस्पताल के इन चिकित्सकों ने नई जिन्दगी दी है। अब तक 650 ग्राम के वजनीले बच्चों को बचाने का मामला सामने आ चुका है, लेकिन कम वजनीले नवजात को बचाने का ऐसा पहला किस्सा है। यह किस्सा मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के नेतृत्व में गरीब मरीजों के प्रति गुजरात सरकार के संवेदनशील दृष्टिकोण और चिकित्सकों की कोशिश और नर्सों की देखभाल से सामने आया।
इन्दौर के रहने वाले जितेन्द्र अंजान और उनकी पत्नी रेणु अंजान के लिए यह वर्ष परेशानी का सबब बनकर आया था। अप्रेल, 2020 को रेणुबेन जब दो माह की गर्भवती थी तो वह लीवर की गंभीर से बीमार का शिकार हो गई। वे इन्दौर में चिकित्सक से मिले लेकिन कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। बाद में यह दम्पती उम्मीदें खो चुका था तभी किसी रिश्तेदार ने उन्हें अहमदाबाद सिविल अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी।
बाद में अंजान दम्पती अहमदाबाद सिविल अस्पताल पहुंचा, जहां एक ही सप्ताह में उपचार के बाद रेणुबेन की तबीत में सुधार होने लगा। कुछ समय बाद वह पूर्णत: स्वस्थ हो गई, लेकिन छह माह बाद रेणुबेन की तबीयत फिर बिगड़ गई। फिर से वे इलाज के लिए अहमदाबाद सिविल अस्पताल पहुंचे, लेकिन इस बार रेणुबेन के 400 ग्राम वजनीली नवजात को बचाने का सवाल था।
सिविल अस्पताल की बाल रोग चिकित्सक प्रोफेसर बेलाबेन शाह ने कहा कि अब तक सामने आया कि कम वजनीले नवजात की जिन्दगी बचने की संभावना कम ही होती है। अक्टूबर में रेणुबेन ने 436 ग्राम वजनीले और 36 सेन्टीमीटर बच्चे को जन्म दिया।
बाल रोग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सोनू अखाणी ने कहा कि पहली सांस से नवजात बालिका मौत से संघर्ष कर रही थी। ऑपरेशन थिएटर के चिकित्सकों और नर्सों को ऐसा था कि कुछ मिनटों से ज्यादा यह नहीं जी सकेगी, लेकिन बाद में बालिका को नियोनेटल इन्टेसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में रखा गया, जहां 54 दिनों तक बालिका को रखने के बाद उसकी हालत में सुधार हुआ। बालिका को फिडिंग ट्यूब से आहार दिया गया। बाद में बालिका का वजन बढ़कर 930 ग्राम हो गया। अब बालिका पूर्णत: स्वस्थ है। अहमदाबाद सिविल अस्पताल में बालिका के उपचार का खर्च करीब 10 से 12 लाख रुपए तक होता लेकिन गुजरात सरकार की संवेदनशील दृष्टिकोण से बालिका का नि:शुल्क उपचार किया गया।
अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधीक्षक जे.पी. मोदी ने कहा कि सिविल अस्पताल के बाल रोग विभाग कोरोना काल में भी बेहतर कार्य किया है। नवजात बालिका को बचाना बेहतर उदाहरण है। राज्य में 400 ग्राम वजनीले नवजात को नया जीवन देना एक बड़ी सफलता है।

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