हरियाली की चादर ओढ़े पर्वत, उनसे गिरते जल प्रपात एवं बहते झरने, कल-कल बहती नदियां, वनों की परिवर्तनशील वनस्पति, ऊंचे-ऊंचेे पेड़ों के बीच पसरी सड़कें, ग्रामीण संस्कृति मेहमानों का इंतजार कर रही हैं। सिंदोनी और मांदोनी के ऊंचे-नीचे घाट, झरने, पहाड़, देवी-देवताओं के मंदिर सैलानियों को आकर्र्षित करते रहे हंै। पर्यटन विभाग ने गत माह दपाड़ा सतमालिया एवं वासोणा लॉयन सफारी खोल दिए हैं। मानसून के बाद खानवेल बटर फ्लाई उद्यान, दादरा व अथाल नक्षत्रवन, स्वामीनारायण मंदिर, मधुबन डेम, बिन्द्राबीन रामेश्वर मंदिर, दूधनी नौका विहार भी चालू हो गए हंै। हरे-भरे जंगल और पहाडिय़ों के बीच बसे कौंचा हेल्थ गार्डन की प्रशंसा दक्षिणी गुजरात में खासतौर पर होती हैं।
यहां भ्रमण के लिए देश की नामी-गिरामी हस्तियां आती रहती हैं। विख्यात चित्रकारों ने इस गार्डन की सौम्यता को अपने कैनवास में सजाया हैं। दमणगंगा जलाशय के पार कौंचा गंाव में बने स्थापित गार्डन में आवासीय कॉम्पलेक्स भी हैं। कौंचा गार्डन में सुदूर पर्वतीय रमणीक आनंद के लिए मशहूर हैं। इस गार्डन में आधुनिक दर्जे के संकुल बने हैं। लेकिन, कोरोना संक्रमण ने जिंदगी के हरेक पहलुओं को प्रभावित किया हैै। उत्तरी राज्यों में सर्दी के साथ कोरोना की दूसरी लहर ने सैलानियों को घरों में कैद कर दिया है। शिक्षण संस्थाओं में अवकाश के बावजूद पर्यटन स्थलों पर मेहमानों की कमी अखर रही है। पर्यटन स्थलों पर पर्यटन आधारित कारोबारी परेशान हैं। दुधनी जेटी पर सभी नाविकों को रोजगार नहीं मिल पाया है।