दादरा नगर हवेली में हजारों दिहाड़ी मजदूर रोज कमाओ-रोज पाओ की तर्ज पर काम करते हैं। यह मजदूर घर, दफ्तर, लेबर कांक्ट्रेक्टर, इमारत निर्माण आदि जगह काम पर लगे हुए हैं। इन मजदूरों को दिनभर काम के बाद शाम को नगद मेहनताना मिल जाता है। लॉकडाउन के बाद कारोबार व धंधे पटरी पर पूरी तरह नहीं लौटे हैं। काम नहीं मिलने से बेरोजगार युवा वापी रोड़ जामा मस्जिद, आमली पैराडाइज होटल, टोकरखाड़ा क्षेत्र में सवेरे 7 बजे दिहाड़ी मजदूरी के लिए जुट जाते है। इसमें एमपी, महाराष्ट्र, राजस्थान के प्रवासी मजदूरों के अलावा खानवेल, मांदोनी, रूदाना, सिंदोनी के गांवों से भी लोग सम्मिलित हो रहे हैं। यहां से नियोक्ता काम के लिए मजदूरों को ले जाते हैं, तथा शाम को मेहनताना देकर विदा कर देते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते इन मजदूरों का कहना है कि काम के अभाव से परिवार का जीवनपार्जन कठिन हो गया हैं।
3 हजार उद्योग फिर भी बेरोजगारी जिले में तीन हजार उद्योग स्थापित होने के बाद बेरोजगारी गंभीर समस्या है। औद्योगिक कल-कारखानों में युवाओं को काम नहीं मिलना चिंता का विषय है। स्थानीय युवावर्ग काम के लिए लेबर कांट्रेक्टर व उद्यमियों के सामने हाथ फैलाने को मजबूर हैं। जिले में साक्षरता बढऩे से शिक्षित बेरोजगारों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। हाल के सर्वे में आंबोली ग्राम पंचायत में सबसे अधिक 2808 युवा बेरोजगार हैं। सबसे कम 464 रखोली ग्राम पंचायत में हैं।
दादरा में 400 से अधिक इकाइयों के बावजूद 852 बेरोजगार हैं। जिले में सबसे ज्यादा पिछड़े सिंदोनी में 2250, मांदोनी में 1995, कौंंचा में 1539 तथा दुधनी में 1723 बेरोजगार हैं। रोजगार कार्यालय में 31727 बेरोजगारों में स्नातक/स्नातकोतर 2582, शिक्षण डिग्री 1080, बेचलर ऑफ डेंटल सर्जन 6, नर्सिंग व पैरामेडिकल 272, इंजीनियरिंग स्नातक 64, आईटीआई 415 बेरोजगार रोजगार की आस लगाए बैठे हैं।