अहमदाबाद के नवरंगपुरा के श्रेय हॉस्पिटल (कोविड हॉस्पिटल) में छह अगस्त तड़के पुलिस उपनिरीक्षक (पीएसआई) परमार एवं उनके साथी ड्यूटी पर थे। इसी दौरान शहर पुलिस कंट्रोलरूम से सूचना मिली कि श्रेय अस्पताल में आग लगी है। सूचना मिलते ही पीएसआई एवं उनकी टीम के साथी अस्पताल पहुंचे। वहां देखा तो आग ने आईसीयू रूम को चपेट में ले लिया था। अस्पताल में कई और भी मरीज भर्ती थे। एक ओर फायरब्रिगेड के कर्मचारी आग को बुझाने में व्यस्त थे तो दूसरी ओर अस्पताल में भर्ती अन्य कोरोना मरीजों की जिंदगी भी खतरे में थी। महिला पुलिस अधिकारी ने अस्पताल में कोरोना का संक्रमण लगने का खतरा होने के अलावा खुद के और अन्य स्टाफ के पास पीपीई किट नहीं होने की परवाह किए बिना ही अस्पताल की चौथी मंजिल पर फंसे कोरोना मरीजों को बचाने का काम शुरू किया। एक- एक करके उन्होंने और उनकी टीम ने अन्य लोगों की मदद से 41 कोरोना मरीजों को सही सलामत अस्पताल से निकाला। इतना ही नहीं, इन सभी को महानगरपालिका संचालित सरदार वल्लभभाई पटेल (एसपीवी) अस्पताल में भर्ती कराकर उनके उचित उपचार की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई।
इस कार्य को करने वाले पुलिस कर्मचारियों को खांसी और बुखार के लक्षण दिखाई देने पर इनके साथ में थाने के कुल आठ पुलिस कर्मचारियों को फिलहाल होम क्वारन्न्टाइन किया गया है। इनका कोरोना टेस्ट किया जाएगा और उचित कदम उठाया जाएगा।
डीजीपी ने की प्रशंसा महिला पीएसआई और उनके साथियों के इस कार्य की राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आशीष भाटिया ने भी प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना 41 कोरोना मरीजों की जिंदगी बचाने वाली पीएसआई परमार एवं उनके साथियों के कार्य की गुजरात पुलिस सराहना करती है।