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अहमदाबाद

नेचुरल गैस के दाम बढऩे से सिरामिक उद्योग पर संकट

दो महीने में दो बार वृद्धि
सिरामिक उत्पादों की कीमत में भी 40 प्रतिशत का इजाफा
 

अहमदाबादOct 15, 2021 / 10:47 pm

Rajesh Bhatnagar

नेचुरल गैस के दाम बढऩे से सिरामिक उद्योग पर संकट

मोरबी के सिरामिक कारखाने में कोरोना काल के दौरान टाइल्स के उत्पादन के साथ ही कोरोना से बचाव के लिए काढ़ा पीते अधिकारी व मजदूर। (फाइल फोटो)

राजेश भटनागर

अहमदाबाद. पेट्रोल, डीजल, सीएनजी के भाव में लगातार बढ़ोतरी के साथ ही नेचुरल गैस (सीएनजी-पीएनजी) के भाव में दो महीनों में दो बार की गई वृद्धि से सिरामिक उद्योग पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
सिरामिक उद्योग के क्षेत्र में विश्व में अपनी पहचान कायम कर चुके गुजरात के मोरबी जिले में करीब एक हजार से अधिक उद्योगों में उपयोग की जानी वाली प्राकृतिक गैस के दामों में दो महीनों में करीब 15 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक की वृद्धि हुई है। इस कारण सिरामिक टाइलों के उत्पादन में करीब 10 प्रतिशत की कमी हुई है, यानी क्षमता का 90 प्रतिशत उत्पादन ही हो रहा है। मोरबी के अलावा गुजरात के साबरकांठा, महेसाणा, अहमदाबाद और वडोदरा में करीब 200 इकाइयों में सिरामिक टाइलों का उत्पादन हो रहा है।
सिरामिक उद्योग में काम आने वाला कच्चा माल गुजरात के कच्छ जिले के अलावा पड़ोसी राज्य राजस्थान के किशनगढ़, ब्यावर, बीकानेर से मंगवाया जा रहा है। डीजल के भाव बढऩे से कच्चा माल मंगवाने की लागत बढ़ रही है। अकेले मोरबी जिले में उत्पादित होने वाले करीब 80 प्रतिशत सिरामिक उत्पाद भारत के हर राज्य में करीब 20 प्रतिशत उत्पाद रूस व उसके पड़ोसी देशों में निर्यात किए जा रहे हैं।
कोरोना के चलते प्रतिबंधों के कारण यूरोप व लेटिन अमरीका में फिलहाल निर्यात बंद है। दो महीनों में पेट्रोल, डीजल व सीएनजी के भाव बढऩे से माल भाड़े में और प्राकृतिक गैस के भाव बढऩे से उत्पादन लागत बढऩे से सिरामिक उत्पादों के दाम करीब 40 प्रतिशत तक बढ़ाए गए हैं।
बढ़ी हुई कीमतों ने बढ़ाई मुसीबत

मोरबी सिरामिक एसोसिएशन (वाल टाइल्स डिविजन) के अध्यक्ष निलेश जेतपरिया के अनुसार सरकार की ओर से प्राकृतिक गैस के भावों में बार-बार वृद्धि करने से सिरामिक उद्योग को काफी नुकसान हो रहा है। दो महीनों में पहले 5 रुपए और हाल ही 10.15 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर की दर से वृद्धि करने के कारण सिरामिक उद्योग की हालत पतली हो रही है।
बड़ी संख्या में उद्योगपतियों की आेर से अग्रिम ऑर्डर लेकर व्यापारियों को उत्पाद उपलब्ध करवाए जाते हैं, इसके लिए गैस के पुराने भाव के आधार पर टाइल्स के दाम तय किए जाते हैं। उसके बाद अचानक ही प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ाने से उद्योगपतियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। अकेले मोरबी जिले में सिरामिक उद्योग में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर 5 लाख मजदूर कार्यरत हैं।
एक माह का नोटिस देकर बढ़ें दाम

उनके अनुसार एक महीने का नोटिस देकर दाम बढ़ाने की मांग गुजरात गैस कंपनी से की गई थी। इसके बावजूद रातों-रात दाम बढ़ाने से सिरामिक उद्योग पर हर महीने करीब 200 करोड़ रुपए का भार बढ़ेगा। आगामी समय में निर्यात के लिए कंटेनर के भाड़े में वृद्धि से अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी आएगी। सिरामिक टाइलों के दाम में 15-20 प्रतिशत तक वृद्धि करनी पड़ेगी जिसके कारण सिरामिक उद्योग पर संकट बढ़ेगा।
एक साल से नोटिस बिना बढ़ रहे दाम

साबरकांठा जिला सिरामिक एसोसिएशन के अध्यक्ष मणिभाई पटेल के अनुसार साबरमती गैस कंपनी की आेर से पूर्व में प्राकृतिक गैस के भाव बढ़ाने से एक महीने पहले नोटिस दिया जाता था। इस कारण नए ऑर्डर लेने का पता लगता था, अब एक वर्ष से नोटिस दिए बिना ही भाव बढ़ाए जा रहे हैं।
कई सिरामिक इकाइयों की ओर से विदेश से ऑर्डर लिए जा चुके हैं और प्राकृतिक गैस के भाव में 10.75 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर की दर से भाव वृद्धि करने से 30 प्रतिशत लागत कीमत बढऩे से उत्पादन पर असर पड़ेगा और आर्डर रद्द करने की स्थिति बनी है। इसके चलते सिरामिक इकाइयों पर ताले जडऩे की स्थिति भी पैदा हो रही है।

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