भू-तापीय ऊर्जा से अब धोलेरा स्वामीनारायण मंदिर को जगमगाने की तैयारी
अप्रेल माह से शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट, प्रयोग रहा सफल, दिसंबर २०१६ से सभागृह में दी जा रही है ठंडक
भू-तापीय ऊर्जा से अब धोलेरा स्वामीनारायण मंदिर को जगमगाने की तैयारी
अहमदाबाद. गुजरात में लोकसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच अहमदाबाद जिले में भू-तापीय ऊर्जा (जियोथर्मल एनर्जी) के जरिए बिजली पैदा करने की दिशा में भी अहम सफलता मिलने जा रही है।
जिले के धोलेरा गांव में बना स्वामीनारायण मंदिर देश का ऐसा पहला मंदिर बनने जा रहा है, जो भू-तापीय ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली से जगमग होगा। अप्रेल-२०१९ से इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा। इसका प्रयोग सफल हुआ है, जिसमें भू-तापीय ऊर्जा के जरिए (यानि जमीन से निकलने वाले गर्म पानी के जरिए) २० किलो वॉट तक बिजली पैदा करने में सफलता मिली है। दिसंबर २०१६ से मंदिर का सभागार एयर कंडीशन (एसी) से नहीं बल्कि जमीन से निकलने वाले ५० डिग्री सेल्सियलस गर्म पानी (भू-तापीय ऊर्जा) से ठंडा हो रहा है।
देश में भू-तापीय ऊर्जा के जरिए बिजली पैदा करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही गांधीनगर स्थित पंडित दीन दयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी (पीडीपीयू) के भू-तापीय ऊर्जा उत्कृष्टता केन्द्र (सीईजीई) के प्रमुख डॉ. अनिरबिद सिरकार बताते हैं कि जमीन से निकलने वाले गर्म पानी से ऑर्गेनिक रेनकिंन साइकिल (ओआरसी) तकनीक के जरिए बिजली पैदा करने की दिशा में अहम कदम बढ़ाने जा रहे हैं। टेस्ट के दौरान २० किलोवॉट बिजली पैदा करने में सफलता मिली है। अप्रेल २०१९ से पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा, जिसके लिए न्यू एवं रिन्युएबल एनर्जी मंत्रालय की ओर से भी मंजूरी मिल गई है।
डॉ.सिरकार ने बताया कि देश में जियो थर्मल एनर्जी के जरिए बिजली उत्पादन करने की अपार संभावनाए हैं। जिसे भुनाने की दिशा में गुजरात देश का मार्गदर्शन करने जा रहा है। गुजरात में डांग जिले के समीप उनाई और भरुच जिले के समीप गांधार में भी जियो थर्मल एनर्जी से बिजली पैदा करने की बेहतर संभावना है।
प्रोजेक्ट में शामिल प्राध्यापक मनन शाह बताते हैं कि धोलेरा स्वामीनारायण मंदिर देश का पहला ऐसा मंदिर होगा जो जिओथर्मल एनर्जी के जरिए न सिर्फ ठंडक पाता है, बल्कि रोशनी से जगमग भी होगा। प्रोजेक्ट में शामिल विशाल बलर, कीर्ति यादव, नम्रता बिष्ट, शिशिर चंद्र, सुभादीप मैतेयी भी शामिल हैं।
मनन शाह बताते है कि यह तकनीक सौर ऊर्जा की जगह ले सकती है। शुरूआत में खर्चीली है, लेकिन तीन साल में यह लाभकारी प्रोजेक्ट बन सकता है। इसमें कोई प्रदूषण नहीं होगा। सौर ऊर्जा से दिन में छह से सात घंटे ही बिजली मिलती है, जबकि इसमें दिन और रात चौबीसों घंटे जमीन से गर्म पानी उपलब्ध होगा, जिससे दिन रात बिजली पैदा की जा सकती है। शत प्रतिशत पानी को रिसायकल करके उपयोग में लिया जा सकता है, जिसका उपयोग सिंचाई के लिए भी किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि वर्ष २०१५ में धोलेरा स्वामीनारायण मंदिर में एक हजार फीट तक खुदाई करने पर पांच लीटर प्रति सेकन्ड की रफ्तार से और ४७-५० डिग्री सेल्सियस तापमान तक गर्म पानी बाहर निकला। जिसे तकनीक के जरिए ८५ डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाया गया। जिसके बाद मंदिर में जियोथर्मल स्पेस हीटिंग एंड कूलिंग सिस्टम स्थापित करके मंदिर सभागार को ठंडक दी जा रही है। अब २० किलोवॉट बिजली भीपैदा की जाएगी, जिससे मंदिर को जगमगा सकेंगे।
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