उडीसा के खोरदा जिले के चंद्रशेखरपुर के कक्षा आठवीं के छात्र बैभव परीदा ने नेत्रहीनों को शौचालय जाने में होने वाली समस्याओं को देखते हुए उनके अनुकूल शौचालय बनाया है। इसकी फर्श ऐसे डिजाइन की है कि वे उसके स्पर्श से पता कर सकेंगे कि कहां शौचालय है। इसके अलावा गेट के पास ब्रेल लिपि में और आवाज के जरिए भी उन्हें शौचालय की सूचना मिलेगी। इतना ही नहीं अंदर बाल्टी में पानी भर जाने पर सेंसर के जरिए उसकी भी जानकारी मिल जाएगी।
कर्नाटक के बैंगलुरू निवासी सुयश पटेल ने खाना खाने के लिए उपयोग में ली जाने वाली पत्तल को बनाने के दौरान नुकीली लकड़ी के चुभने से होने वाला दर्द अब नहीं होगा। दादी को पत्तल बनाते समय दर्द को झेलता देख पोते सुशय ने ऐसी मशीन बनाई है, जिससे आसानी से सुुई-धागे की तरह आसानी से पत्तों को भी एक -दूसरे से सिला जा सकता है और आसानी से लकड़ी को काटा भी जा सकता है।
जम्मू एवं कश्मीर के अनंतनाग जिले के आठवीं कक्षा के छात्र असीम सिकंदर मीर ने ऐसा इनोवेशन किया है कि ठंड के मौसम में शरीर को गर्म करने के लिए उपयोग में ली जाने वाली कांगड़ी के गिरने पर भी जलता कोयला नीचे नहीं गिरेगा। वह गिरेगा तो भी कांगड़ी के अंदर ही रहेगा।
उड़ीसा के भुवनेश्वर निवासी देवजीत मजही ने ऐसा इनोवेशन किया है कि जिसकी बदौलत बारिश में भीगने वाले जूतों को जल्द सुखाया जा सकता है। उसने जूते के अंदर ही बैटरी संचालित हीटर लगाया है। बाहर चार्जिंग इंस्टॉल भी दिया है, जिससे मोबाइल की तरह बैटरी को चार्ज भी कर सकते हैं।
जम्मू एवं कश्मीर के लद्दाख के कारगिल की नौवीं कक्षा की छात्रा सईदा बानो ने ऐसा इनोवेशन किया है, जिसकी बदौलत पैरों के पसीनों को जूते ही सोख लेंगे। जिससे बदबू से निजात मिलेगी।
धान हो या गेंहू या अन्य कोई फसल। उसकी कटाई करने के लिए उपयोग में लिए जाने वाले औजार के अंदर ही अब मरहम-पट्टी को रख सकेंगे। जिससे यदि कटाई करने के दौरान हाथ कट जाए तो तत्काल मरहम पट्टी की जा सके और बहते खून को रोका जा सके। गांधीनगर जिले के अमरापुर गांव के ही 12वीं के छात्र किशन ठाकोर ने यह इनोवेशन किया है।
गोभी को उखाडऩे और उसकी जड़ों को काटने में किसानों को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पडेगी। महाराष्ट्र के पूणे के रहने वाले 10वीं के छात्र यश जादव ने ऐसी मशीन बनाई है कि जिसे पैरों से संचालित करते हुए आसानी से खेत से गोभी को उखाड़ सकते हैं और उसकी जड़ों की भी कटाई कर सकते हैं।
कनार्टक के बेंगलुरू के सातवीं कक्षा की छात्रा स्वधा कृष्ण और ओडीसा के संबलपुर के छठी के छात्र स्वस्तिक सिथ ने ऐसी झाड़ी बनाई है कि जिससे पंखे की सफाई करने के दौरान निकलने वाला कचरा नीचे नहीं गिरेगा बल्कि उसी झाड़ू में गिरेगा।
सीढिय़ों से गिरने पर चोटिल होने से बचाने वाला इनोवेशन किया है उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर के छात्र अनुज मिश्रा ने। जिन्होंने सेंसर का इस्तेमाल करके सीढिय़ों के बीच-बीच में अवरोधक लगाए हैं, जिससे गिरने वाले व्यक्ति को बीच में ही रोका जा सकता है। सेंसर व्यक्ति के संतुलन खोने पर स्वत: अवरोधकों को खोल देते हैं।
तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई की आठवीं की छात्रा विनिशा उमाशंकर ने ऐसी चलती-फिरती साइकल नुमा लारी बनाई है, जो सौर ऊर्जा से बिजली लेकर कपड़ों को प्रेस करती है। विनिशा बताती हैं कि इससे कोयले को जलाकर होने वाली प्रेस से निजात मिलेगी, जिससे पेड़ कटने से बचेंगे और प्रदूषण भी नहीं होगा। इसे आसानी से इधर-उधर ले जाया जा सकता है। 12 वोल्ड की प्रेस है, जिसके जरिए कपड़े प्रेस करके भी विनिशा ने दिखाए।