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अहमदाबाद

आर.एंडडी. के बजाय तकनीक हस्तांतरण अपनाने पर जोर

एमएसएमई के लिए फार्मा, बॉयोटेक एंड हैल्थ के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी ट्रांसफर विषय पर जीसीआई व एनआरडीसी का सेमिनार

अहमदाबादAug 22, 2018 / 11:21 pm

Rajesh Bhatnagar

seminar

आर.एंडडी. के बजाय तकनीक हस्तांतरण अपनाने पर जोर

अहमदाबाद. फार्मा उद्योग में अनुसंधान व विकास (आर.एंड डी.) के बजाय तकनीक हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी) अपनाने पर यहां आयोजित सेमिनार में जोर दिया गया। गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) व नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनआरडीसी) की ओर से यहां जीसीसीआई के सभागार में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के लिए फार्मा, बायोटेक एंड हैल्थ क्षेत्र में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर ओपोर्चुनिटी विषय पर मंगलवार को सेमिनार आयोजित हुआ।
जीसीआई के अध्यक्ष डॉ. जयमीन वासा ने कहा कि वर्ष 2025 तक फार्मा बाजार का कारोबार 3 हजार मिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। व्यापार के वैश्वीकरण व अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी आवश्यक है, यह लॉजिकल प्रोसीजर है। उन्होंने तकनीक हस्तांतरण के लिए संचार, निश्चितता, चुनौतियां, क्षमता व वचनबद्धता सहित पांच सी को आवश्यक व महत्वपूर्ण बताया।
विशेष अतिथि केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीसीसीओ) के स्थानीय कार्यालय के उप दवा नियंत्रक अरविंद कुकरेती ने कहा कि भारत में 60-70 प्रतिशत रसायन आयात करने पड़ते हैं, ये रसायन भारत में ही तैयार होने पर चयन करने में आसानी होगी। उन्होंने गुणवत्ता मानकों, उत्पादन, निरूपण के अलावा जैव फार्मास्युटिकल्स, निदान, प्लांट बायोटेक्नोलॉजी व बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी के विनियमन पर बल दिया।
भारत सरकार केे विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन वैज्ञानिक व औद्योगिकी अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के उपक्रम नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनडीएमसी) के वरिष्ठ प्रबंधक अमिताभ मिश्रा ने अहमदाबाद को फार्मा सेक्टर का हब बताया। उन्होंने कहा कि फार्मा उद्योग आर. एंड डी. पर कम खर्च करके लाभ कमाना चाहते हैं, दवा की लागत कम करने का भी दबाव इन पर है इसलिए इन्हें आर. एंड डी. के बजाय प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का उपयोग किया जानाा चाहिए।
आंख के रेटीना से होगी हिमोग्लोबिन की जांच
मिश्रा ने बताया कि भारत में नवजात बालकों की मौतें अधिक होती हैं, हिमोग्लोबिन की जांच के लिए बालकों का रक्त निकालने में सुई का उपयोग करने से नवजात शिशुओं को परेशानी होती है। इसलिए कोलकाता निवासी 26 वर्षीय एक युवक ने आंख के रेटीना से हिमोब्लोबिन की जांच की तकनीक विकसित की है। इससे मात्र एक ही सैकंड में हिमोग्लोबिन पता लगेगा और संबंधित चिकित्सक व शिशु के अभिभावक को मोबाइल फोन पर मैसेज के जरिये कुछ ही सैकंड में रिपोर्ट भेजना संभव होगा।
प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण पर जोर
असेंट फाइनकेम प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनिल जैन ने कागजी कार्रवाई के बजाय प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि फार्मा सेक्टर को रसायनों के उपयोग की जरूरत है लेकिन पर्यावरण संबंधी काफी समस्याएं भी हैं इसलिए उद्योगों व विश्वविद्यालयों को मिलकर काम करने से लाभ संभव है। इंडियन ड्रग मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन (आईडीएमए) के मानद सचिव डॉ. श्रेणिक शाह ने कहा कि एसएमई में भी व्यवसाय के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर ध्यान दिया जा रहा है।
पिलानी के वैज्ञानिक डॉ. जे.एल. रहेजा ने दांतों की 2डी व 3डी एंडोस्कॉपी के बारे में जानकारी दी। निरमा यूनिवर्सिटी के फार्मा विभाग के निदेशक व डीन प्रो. मंजुनाथ घाटे ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रक्रिया की जानकारी दी। इनके अलावा भावनगर के डॉ. कन्नन श्रीनिवासन, हैदराबाद की डॉ. डी. शैलजा, जीटीयू गांधीनगर के निदेशक डॉ. राजेश पारिख, एल.डी. इंजीनियरिंग कॉलेज के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. सचिन पारिख, लखनऊ के वैज्ञानिक नसीम सिद्धिकी ने भी विचार व्यक्त किए।

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