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अहमदाबाद

माता-पिता की पुलिस आयुक्त से गुहार- हमारे बेटों को मुक्त कराओ

जानकारी के बिना दीक्षा दिलाने का आरोप…,धर्मेश, दीक्षांत व प्रशांत के माता-पिता ने सीपी से मांगी मदद

अहमदाबादOct 24, 2018 / 10:15 pm

nagendra singh rathore

family member of sadhu

माता-पिता की पुलिस आयुक्त से गुहार- हमारे बेटों को मुक्त कराओ

अहमदाबाद. शहर के भाडज इलाके स्थित हरेकृष्ण मंदिर प्रशासन पर आरोप लगाते हुए तीन युवकों के माता व पिता ने बुधवार दोपहर को शहर पुलिस आयुक्त ए.के. सिंह के मुलाकात कर उन्हें मंदिर के चंगुल से मुक्त कराने की मांग की।
पुलिस आयुक्त को सौंपे ज्ञापन में मंदिर के साधु बन चुके धर्मेश गोल के पिता लीलाभाई गोल, दीक्षांत पटेल की मां शर्मीलाबेन पटेल और प्रशांत कुमार सिंह की मां प्रतिमा कुमारी सिंह ने मंदिर प्रशासन व उनके साधुओं पर उनके पुत्रों का ब्रेनबॉश कर उन्हें सूचित किए बिना ही दीक्षा दिलाकर साधु बना देने का आरोप लगाया है। उनके पुत्रों पर अत्याचार किए जाने का आरोप लगाते हुए मांग की है कि उनके पुत्रों को जल्द से जल्द मंदिर के चंगुल से मुक्त कराकर घर भिजवाया जाए।
मूलत: बिहार हाल चांदखेडा गोदरेज गार्डन सिटी में रहने वालीं प्रतिमा कुमारी बताती हैं कि वर्ष २०१४ में उनका पुत्र एम.जी. साइंस कॉलेज से बीएससी कर रहा था और कॉलेज जाने की बात कहते हुए चला गया उसके बाद वो वहीं से हरेकृष्ण मंदिर भाडज के सन्यासी के साथ भाग गया। हमें बताए बिना ही उसे सन्यासी बना दिया गया है। उसे हमसे मिलने भी नहीं दिया जाता है। उस पर अत्याचार हो रहा है। वे चाहती हैं कि उनका बेटा जल्द घर चला जाए। प्रशांत के पिता एयरफोर्स में हैं। अब उनका स्थानांतरण उत्तरप्रदेश में हो गया है। बेटे को वापस पाने के लिए चांदखेडा थाने में याचिका करने के बाद प्रतिमाकुमारी पुलिस आयुक्त से मिलने पहुंचीं थीं।
उनके जैसा ही दर्द गांधीनगर के एक कॉलेज से बीटेक करने वाले दीक्षांत पटेल की मां शर्मिलाबेन पटेल का है। वे कहती हैं कि उनका बेटा बीटेक की पढ़ाई कर रहा था, लेकिन उसे साधु बना दिया गया है। उससे मिलने भी नहीं दिया जाता है।
नाइपर से एमफार्म की पढ़ाई करने वाले धर्मेश गोल के पिता लीलाभाई गोल कहते हैं कि उनके पुत्र को उन्हें बताए बिना ही हरेकृष्ण मंदिर के साधुओं की ओर से दीक्षा दिलाकर सन्यासी बना दिया गया। वे विकलांग हैं। हमें तो पुत्रों के साधू बनने की खबर मिली और जाकर मंदिर प्रशासन से पूछा तो पहले वे इनकार करते रहे। ज्यादा दबाव डाला तो कहा कि उनकी आयु १८ साल की हो गई है। वे अपनी मर्जी से निर्णय ले रहे हैं। परिजनों का कहना है कि शहर पुलिस आयुक्त नें उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिया है।

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