यहां के अंबे माता मंदिर में आने वाले लोगों के हाथ में प्रसाद के साथ एक-सी सफेद पर्ची भी दिखाई देती है। द्वार पर पुजारी महेश भाई हाथ में कार्ड स्वाइप करने वाली पीओएस मशीन लिए खड़े हैं। लोग नए-पुराने नीले-गुलाबी नोट की बजाय कार्ड बढ़ा रहे हैं। वैसे दरवाजे पर ही भीम एप का बार कोड भी लगा है। नितिन भाई की पान दुकान पर काफी लोग मौजूद हैं।
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मगर एक भी ग्राहक नकदी की बात तक नहीं करता। शुरुआत में थोड़ा परेशान रहे सब्जी बेचने वाले भरत भाई कहते हैं कि अब वे इससे खुश हैं। पहले महिलाएं 105 रुपए की सब्जी के सौ का नोट पकड़ा देती थीं। अब तो वे पूरे पैसे ही काटते हैं। धोबी का काम करने वाले हितेश भाई इसलिए खुश हैं कि उधारी का चक्कर खत्म हो गया। वहीं, रमेश भाई कहते हैं अब उन्हें अपने बच्चों के खर्च पर नजर रखने में कोई दिक्कत नहीं होती।
२०० रु. चार्ज
हालांकि यह रोकड़ा रहित लेन-देन लागू करना इतना आसान नहीं था। अब भी बैंक वाले पीओएस मशीन के महीने के दो सौ रु. से ज्यादा चार्ज करते हैं। हर लेनदेन पर डेढ़ फीसदी का चार्ज अलग काटते हैं।
मंदिर के द्वार पर पुजारी लिए रहते हैं कार्ड स्वाइप मशीन
हालांकि यह रोकड़ा रहित लेन-देन लागू करना इतना आसान नहीं था। अब भी बैंक वाले पीओएस मशीन के महीने के दो सौ रु. से ज्यादा चार्ज करते हैं। हर लेनदेन पर डेढ़ फीसदी का चार्ज अलग काटते हैं।