अयोध्या दर्शन को याद कर गदगद हुआ वृद्ध दंपती उस समय घनश्याम के पिता जशवंतभाई मंदिर में दर्शनकर घर पहुंचे। पुत्र घनश्याम ने उन्हें 21 हजार रुपए का समर्पण लिखाने की जानकारी दी। इसके साथ ही मंदिर निर्माण के बारे में विस्तृत जानकारी वाली सूचना पुस्तिका दिखाई। पुस्तिका देखकर वृद्ध दंपती एक-साथ किए अयोध्या दर्शन को याद कर गदगद हो गया।
पूजा घर में अलग-अलग जगह रखे 100 रुपए भी, दान-दक्षिणा में मिले थे जशवंतभाई ने स्वयं को दान-दक्षिणा में मिलने के बाद घर में अलग-अलग स्थानों पर सुरक्षित रखे परचूनी के 100 रुपए निकालकर समर्पण के लिए दिए। उन्होंने कहा कि दान-दक्षिणा में मिलने वाली राशि का 10वां भाग भगवान के कार्य के लिए अलग रखते हैं, इसलिए उस राशि के सदुपयोग का इससे अच्छा अवसर कहां मिलेगा। वह राशि 5,700 रुपए भी दे दी।
दिवंगत पुत्र के नाम भी किया दान इस बीच, घनश्याम की माता कमरे में गई और अपने दिवंगत पुत्र धर्मेश के नाम से अन्य 2 हजार रुपए लाकर दान में दिए। इस तरह पांच हजार की अपेक्षा के मुकाबले कुल 29,300 रुपए का दान उपाध्याय परिवार ने किया।