First time : जटिल ऑपरेशन कर किया बालिका के पैर को कैंसर मुक्त
पहली बार ग्रोइंग ज्वाइंट का उपयोग...
- कृत्रिम ज्वाइंट डालने के बाद भी बढ़ता रहेगा पैर

अहमदाबाद. शहर के गुजरात कैंसर एंड रिसर्च सेंटर (जीसीआरआई) अर्थात कैंसर अस्पताल में पिछले दिनों एक बालिका के कैंसर ग्रस्त पैर का जटिल ऑपरेशन किया गया। पैर में लगाए गए कृत्रिम ज्वाइंट को थ्री डी प्रिन्टिंग के माध्यम से इस कदर आकार दिया गया है कि वह उम्र के साथ-साथ बढ़ता रहेगा। कोरोना काल में यह जटिल ऑपरेशन किया गया है। बालिका अब चलने फिरने भी लगी है।
जामनगर निवासी 11 वर्षीय एक बालिका को प्रोक्सिमल टिबिया इविंग्स सार्कोमा (घुटने के नीचे हड्डी में कैंसर) की पुष्टि हुई थी। पैर की 12 सेन्टीमीटर हड्डी के अलावा यह कैैंसर घुटने तक फैल गया था। उपचार के लिए उसे अहमदाबाद स्थित जीसीआरआई में लाया गया। अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अभिजीत सालुंके ने बताया कि 12 सेन्टीमीटर की हड्डी खराब हो चुकी थी और धीरे-धीरे कैंसर पैर के अन्य भाग में फैल रहा था। ज्वाइंट में कैंसर होने के कारण प्राकृत्रिक घुटने को निकालने और इसकी जगह कृत्रिम ज्वाइंट डालने का निर्णय किया गया। बालिका का ज्वाइंट थ्री डी प्रिन्टिंग से आकार देकर बनाया गया। इसके बाद बालिका का जटिल ऑपरेशन किया गया। करीब चार घंटा लंबे चले ऑपरेशन में कैंसर ग्रस्त हड्डी को निकालकर उसके स्थान पर कृत्रिम ज्वाइंट डाल दिया गया। बालिका के मांस में पुन: लपेट कर ज्वाइंट को स्थापित कर दिया गया। डॉ. अभिजीत सालुंके की अगुवाई में किए गए इस ऑपरेशन में डॉ. मयूर कामानी, डॉ. नवीन वर्मा तथा एनेस्थेसिया चिकित्सक डॉ. तन्मय टांक का महत्वपूर्ण योगदान रहा। चिकित्सकों का कहना है कि हड्डी के लिए ग्रोइंग ज्वाइंट ( एक्सपैन्डेबल मेगाप्रोस्थेसिस ) तकनीक का उपयोग किया गया। इसकी विशेषता यह है कि हर छह माह में बालिका के पैर में एक छोटा चीरा लगाकर स्क्रू कस कर उसे दूसरे पैर की गति से बढ़ाया जा सकेगा।
लाखों रुपए कीमत वाला ऑपरेशन हुआ निशुल्क
जिस बालिका का ऑपरेशन किया गया है उसे यदि निजी अस्पताल में कराया जाता तो संभवत: आठ से दस लाख रुपए खर्च आ सकता था। ज्वाइंट की कीमत ही चार लाख रुपए के आसपास है। लेकिन जीसीआरआई में स्कूल हेल्थ प्रोग्राम के अन्तर्गत यह आपरेशन निशुल्क हुआ है। इस ऑपरेशन का फायदा यह कि बच्चे की आयु के साथ पैर को बढ़ाया जा सकेगा। जीसीआरआई में आधुनिक तकनीक उपलब्ध होने से मरीजों को काफी फायदा हो रहा है।
डॉ. शशांक पंड्या, निदेशक जीसीआरआई
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