केन्द्र सरकार के वकीलों की छह महीनों की लीव नोट का विवरण दें
अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट रजिस्ट्री से केन्द्र सरकार (यूनियन ऑफ इंडिया) के वकीलों की ओर से गत छह महीनों में रखी गई लीव नोट या सिक नोट (अवकाश या बीमारी के कारण अनुपस्थिति) का विवरण देने को कहा है। न्यायाधीश अनंत एस. दवे व न्यायाधीश वीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने अवलोकन किया कि इस अदालत के समक्ष केन्द्र सरकार की ओर से दायर या उनके खिलाफ दायर होने वाले मामलों में प्राय: केन्द्र सरकार के वकीलों की ओर से लीव व सिक नोट रखी जाती है। इसलिए इस संबंध में गत छह महीनों में केन्द्र सरकार की ओर से उपस्थित होने वाले वकीलंों की लीव नोट या सिक नोट पेश किया जाए। इससे केन्द्र सरकार से जुड़े मामलों के प्रभारी को उचित निर्देश दिया जा सके। हाईकोर्ट रजिस्ट्री को यह रिपोर्ट आगामी 3 अक्टूबर तक देनी होगी। गत सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने एडिशनल सोलिसिटर जनरल देवांग व्यास से इस व्यवस्था को दुरुस्त करने को कहा था। खंडपीठ ने सेवानिवृत्त आईएएस डी. किशोर राव के खिलाफ विभागीय जांच की कार्रवाई रद्द किए जाने के कैट के आदेश के खिलाफ केन्द्र सरकार की ओर से दायर याचिका से जुड़े मामले में यह निर्देश दिया। इससे पहले खंडपीठ ने यह भी कहा था कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब मामले की सुनवाई के लिए कॉल आउट किया गया तब केन्द्र सरकार के वकील उपस्थित नहीं थे। खंडपीठ के समक्ष ऐसे कई किस्से आए हैं जब केन्द्र सरकार के वकीलों की ओर से अक्सर लीव या सिक नोट रखी जाती है।
वर्ष 2016 में केन्द्र सरकार ने गुजरात उच्च न्यायालय में राव को लेकर कैट के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसके तहत राव के खिलाफ कैट के विभागीय जांच के आदेश को खारिज करने को चुनौती दी गई थी। कैट ने राव की ओर से दायर याचिका पर फैसला देते हुए केन्द्र सरकार की ओर से राव के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश रद्द कर दिया था। कैट ने राव के खिलाफ कार्रवाई विलंब से आरंभ किए जाने के आधार पर सरकार की याचिका खारिज की थी।
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